उपचुनाव की तैयारियों के बीच प्रदेश प्रभारी की गैर मौजूदगी, कांग्रेस को पड़ सकती है भारी

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बद्रीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर कांग्रेस लगातार जीत का दावा कर रही है। लेकिन अब तक कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा एक बार फिर उत्तराखंड नहीं आईं हैं। उपचुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा की गैर मौजूदगी कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।


बद्रीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को मतदान होना है। ऐसे में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। भाजपा जहां धुआंधार प्रचार में जुटी हुई है और भाजपा के प्रभारी लगातार बैठकें कर रहे हैं और संगठन को दिशा निर्देश दे रहे हैं।तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा जब से उपचुनाव की घोषणा हुई है तब से एक बार भी उत्तराखंड नहीं आई है।

आगे भी कब तक आएंगी इसका भी अभी कुछ पता नहीं है। लोकसभा चुनाव में भी कुमारी शैलजा उत्तराखंड सिर्फ दो से तीन बार ही आई है। हालांकि उपचुनाव में कुमारी शैलजा वर्चुअल माध्यम से संगठन को दिशा निर्देश दे रही है। लेकिन धरातल पर तैयारी कितनी है इसका अभी तक कुमारी शैलजा ने कोई जायजा नहीं लिया। जिससे प्रदेश की 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस की मुश्किलें जरूर बढ़ सकती हैं।

प्रदेश प्रभारी की गैरमौजूदगी पर करन माहरा ने कहा ये
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा का कहना है कि दोनों सीट पर पार्टी मजबूती से उपचुनाव लड़ रही हैं। प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेता दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। संसद चलने के कारण प्रदेश प्रभारी शैलजा कुमारी व्यस्त हैं। उनका सदन में रहना भी जरूरी है। प्रदेश प्रभारी की ओर से लगातार वर्चुअल और दूरभाष पर दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। जिस पर उपचुनाव में काम किया जा रहा है।

कांग्रेस से चुटकी ले रही है भाजपा
प्रदेश कांग्रेस नेता अपने-अपने स्तर पर दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड पर खास ध्यान नहीं दिया। जिससे प्रदेश की पांचों सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। जिसको लेकर भाजपा भी अब कांग्रेस से चुटकी ले रही है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर का कहना है कि कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ये भली-भांति जानती है कि उत्तराखंड में कांग्रेस का कुछ होने वाला नहीं है। कांग्रेस 2014 से लगातार यही कहती आई है कि वो चुनाव जीतेगी 2014 से लेकर 2024 तक सभी चुनाव में उत्तराखंड की जनता ने कांग्रेस को नकारा है। इसीलिए कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी हो या फिर शीर्ष नेतृत्व वो उत्तराखंड आकर कोई भी तोहमत अपने सिर पर नहीं लेना चाहती।