सुप्रीम कोर्ट ने मानी प्रशांत भूषण की डिमांड, फिर बड़ा खुलासा, CM की फैमिली को 146 सरकारी ठेका, जज साहब भी भौंचक
Supreme Court News: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 2012-2023 के बीच 146 सरकारी ठेके मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार को दिया गया. प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे से यह बात सामने आई है. इन सरकारी ठेकों का कुल मूल्य 383.74 करोड़ रुपये है. सीएम खांडू के परिवार की चार कंपनियों को गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट मिलने का खुलासा हुआ है.
Supreme Court News: देश में भाई-भतीजावाद कोई नई बात नहीं है. लेकिन जब सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति के परिवार को 146 सरकारी ठेका मिल जाए तो सवाल उठना लाजमी है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में 2012 से 2023 के बीच राज्य सरकार ने कुल 146 सरकारी कामों के ठेके दिए गए, जिनकी कीमत 383.74 करोड़ रुपये है. सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे के अनुसार, इनमें से कई ठेके मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार से जुड़ी चार कंपनियों को दिए गए. सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण की डिमांड पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अरुणाचल सरकार से डिटेल्ड एफिडेविट दाखिल करने को कहा था. हलफनामे से ही मुख्यमंत्री के परिवार को 146 सरकारी ठेका देने का खुलासा हुआ है. इस जानकारी से जज साहब भी भौंचक्के रह गए.

अरुणाचल प्रदेश सरकार की ओर से दायर हलफनामे के मुताबिक, चार कंपनियों को ये ठेके मिले. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से दो मुख्यमंत्री पेमा खांडू की पत्नी सेरिंग डोल्मा की, एक उनके भाई ताशी खांडू की और एक भाभी नीमा ड्रेमा की है. तवांग जिले में ही इन कंपनियों को 42 ठेके 209.6 करोड़, 13 ठेके 29.1 करोड़ और 91 ठेके 145.04 करोड़ रुपये के दिए गए. इनमें से 59 ठेके बिना टेंडर के सीधे वर्क ऑर्डर के जरिए दिए गए. इनमें कम से कम 11 ठेकों की राशि 50 लाख रुपये की सीमा से ज्यादा थी, जो 2020 में तय की गई थी. इन ठेकों के काम सड़क, पुल, नालियां, बिजली लाइनें, भवन, पर्यटन ढांचे, सामुदायिक भवन और कॉलेज निर्माण जैसे थे.
10 प्वाइंट में जानें अरुणाचल में सरकारी ठेका देने का पूरा मामला –
- हलफनामे के मुताबिक, चार कंपनियों को ये ठेके मिले. इनमें दो मुख्यमंत्री पेमा खांडू की पत्नी सेरिंग डोल्मा, एक उनके भाई ताशी खांडू और एक उनकी भाभी नीमा ड्रेमा की है.
- तवांग जिले में ही इन कंपनियों को 42 ठेके 209.6 करोड़, 13 ठेके 29.1 करोड़ और 91 ठेके 145.04 करोड़ रुपये के दिए गए.
- इनमें से 59 ठेके बिना टेंडर के सीधे वर्क ऑर्डर के जरिए दिए गए. इनमें कम से कम 11 ठेकों की राशि 50 लाख रुपये की सीमा से ज्यादा थी, जो 2020 में तय की गई थी.
- इन ठेकों के काम सड़क, पुल, नालियां, बिजली लाइनें, भवन, पर्यटन ढांचे, सामुदायिक भवन और कॉलेज निर्माण जैसे थे.
- हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद दाखिल किया गया, जिसमें अदालत ने राज्य सरकार से ठेकों का पूरा रिकॉर्ड मांगा था. यह मामला एक PIL से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकार ने CM परिवार से जुड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाया.
- याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा कि राज्य की तरफ से दिए गए दस्तावेज पूरे और अपडेटेड नहीं हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 2015 से 2025 तक के ठेकों की पूरी जानकारी आठ हफ्ते में देने का निर्देश दिया था.
- राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा कि बिना टेंडर के वर्क ऑर्डर जारी करना अरुणाचल प्रदेश की स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए सामान्य प्रक्रिया है, क्योंकि गांवों में लोग जमीन मुफ्त में देते हैं और स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता दी जाती है
- सरकार ने यह भी दावा किया कि 95% ठेके खुले टेंडर प्रक्रिया से दिए गए हैं, इसलिए पसंद-नापसं या पक्षपात का आरोप सही नहीं है
- सुप्रीम कोर्ट की पीठ (जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता) ने टिप्पणी की कि CM के परिवार को इतने अधिक ठेके मिलना एक उल्लेखनीय संयोग है.
- अब इस हाई-प्रोफाइल मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी को होगी.
कैसे सामने आया मामला?
हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद दाखिल किया गया जिसमें अदालत ने राज्य सरकार से ठेकों का पूरा रिकॉर्ड मांगा था. यह मामला एक PIL से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकार ने CM परिवार से जुड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाया. याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा कि राज्य की तरफ से दिए गए दस्तावेज पूरे और अपडेटेड नहीं हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 2015 से 2025 तक के ठेकों की पूरी जानकारी आठ हफ्ते में देने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा कि बिना टेंडर के वर्क ऑर्डर जारी करना अरुणाचल प्रदेश की स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए सामान्य प्रक्रिया है, क्योंकि गांवों में लोग जमीन मुफ्त में देते हैं और स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता दी जाती है.
अरुणाचल सरकार का क्या दावा?
सरकार ने यह भी दावा किया कि 95% ठेके खुले टेंडर प्रक्रिया से दिए गए हैं, इसलिए पसंद-नापसंद या पक्षपात का आरोप सही नहीं है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहत की दो जजों की पीठ कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की कि CM पेमा खांडू के परिवार को इतने अधिक ठेके मिलना एक उल्लेखनीय संयोग (remarkable coincidence) है. मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी 2026 को होगी
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