शहर ‘बेचने’ को बेचैन भूमाफिया, ‘ऊपर वालों’ के आगे अधिकारी खामोश

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उत्तराखंड में अगर किसी का विकास तेजी से हो रहा है तो समझिए उसमें सबसे अधिक विकास भूमाफिया का हो रहा है। कम से कम देहरादून जैसे शहर के लिए तो ये कहा ही जा सकता है। हालात ये हो चले हैं कि भूमाफिया जल्द ही ‘अपने लोगों’ की मदद से इस पूरे शहर को बेच देने के लिए आमादा हैं।


क्या पहाड़ी, क्या जंगल, क्या नाला, पिछले कुछ सालों में हालात ये हुए हैं कि भूमाफिया धीरे धीरे हर ओर अपनी निगाहें दौड़ाते जा रहें हैं, कब्जाते जा रहें हैं और निपटाते जा रहें हैं।


हाल ही में सहस्त्रधारा के ब्रह्मपुरी में घरों में आया मलबा इस बात की गवाही है कि जल, जंगल, जमीन अब कुछ भी भूमाफिया की नजर से बचा नहीं है। सहस्त्रधारा में घरों में आए मलबे की कहानी कुछ ऐसी है कि भूमाफिया ने पहाड़ी का एक हिस्सा सपाट किया, उसके जंगलों को साफ किया और फिर उसपर प्लाटिंग कर दी। चूंकि प्लाटिंग जहां की गई वो हिस्सा पहाड़ की ऊंचाई पर था लिहाजा साइड में सपोर्ट के लिए पुश्ते बनाए गए लेकिन कामचलाऊ पुश्ते सहस्त्रधारा इलाके में होने वाली बारिश के सामने ठहर नहीं पाए और मलबे के साथ नीचे बने मकानों में प्रवेश कर गया।


हालांकि मलबा आने के बाद सरकार के मंत्री पहुंचे, अधिकारी पहुंचे और मुआवजा देकर रस्म अदायगी कर दी। लेकिन जो बड़ा सवाल है वो ये है कि पहाड़ों को काटकर प्लाटिंग की इजाजत कौन दे रहा है? कौन हैं वो अधिकारी जिनकी जिम्मेदारी इसे रोकने की है? सवाल ये भी है कि क्या बिना नेताओं की मिलीभगत और संरक्षण के ये पूरा खेल खेला जा रहा है?


सहस्त्रधारा के ब्रह्मपुरी में मलबा आने के बाद जिस प्लाटिंग को लेकर सवाल उठ रहें हैं उसमें सूत्र बताते हैं कि एक बड़े नेता की शह पर प्लाटिंग काटी गई और इसीलिए सबने चुप्पी साधी रखी। चूंकि सब कुछ ‘ऊपर से’ मैनेज हो रहा था लिहाजा अधिकारियों ने अपनी आंखें मूंदे रखीं।


कुछ दिनों पहले ही कैनाल रोड पर भी ऐसा ही वाक्या सामने आया था जब सहारनपुर के गुप्ता बंधुओं के करीबी ने कैनार रोड पर पहाड़ी का हिस्सा जेसीबी से चीर डाला। बाहर से हरे पर्दे डालकर अंदर से काले कारनामों को अंजाम देने की इस बात की खबर जब तक आला अधिकारियों को लगी तब तक पहाड़ी का बड़ा हिस्सा खत्म हो चुका था। अब नोटिंस चस्पा कर फिलहाल काम रोक तो दिया गया है लेकिन सवाल ये है कि क्या कटे हुए पहाड़ को कोई कार्रवाई लौटा सकती है?


देहरादून में चल रहे भूमाफिया के राज पर MDDA का कुछ न कर पाना उसे सवालों के घेरे में लाकर खड़ा करता है। MDDA के अधिकारियों पर सवाल उठता है। ये वही MDDA है जो आपके घर में एक ईंट भी रखे जाने पर इंस्पेक्शन के लिए पहुंच जाता लेकिन मजाल है कि भूमाफिया के खेल को रोकने के पहुंचे।


उत्तराखड पुलिस के डीजीपी कह रहें हैं कि भूमाफिया की हिस्ट्रीशीट खोलेंगे और उसे जिला बदल भी करेंगे। लेकिन सवाल ये भी है कि सफेदपोश भूमाफिया जिस तरह से अपने राजनीति रसूख और ऊंची पहुंच के चलते पूरा शहर बेचने को तैयार हैं, पुलिस उनपर ‘हाथ’ डालने की हिम्मत भी कर पाएगी?