जिम्मेदार जल भराव से निबटने मे व्यस्त, नवोदय स्कूल के बच्चे पानी की बूंद बूंद के लिए त्रस्त
भीषण गर्मी के बाद अब बरसात में भी पानी की बूंद के लिए तरसे
01 लाख हर महीने पानी के लिए खर्च फिर भी पानी की बूंद नही टपकी
सुयालबाड़ी skt. कॉम
भारी बरसात में जवाहर नवोदय विद्यालय सुयाल बाड़ी के बच्चे बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह समस्या एक-दो दिन की है पिछले एक महीने से विद्यालय में किसी भी कनेक्शन से पानी नहीं आ रहा है विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने मातहत को भेज कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है
विद्यालय में जहां 500 बच्चे पढ़ते हैं वही 200 का स्टाफ भी यहां पर कार्यरत है। प्रधानाचार्य ने अपने पत्र में एक माह से पानी नहीं आने की बात लिखी है लेकिन इसके बाद समस्या जस की तरफ बनी हुई है जल संस्थान के द्वारा मोटर फूक जाने की बात कह कर अपने करते विषय इति श्री कर ली है जबकि जल संस्थान को विद्यालय की ओर से प्रतिमाह एक लाख का दिल अदा किया जाता है। विद्यालय में प्रशासन में अपने एसडीएम कैंची धाम बी पंत को भेजा उन्होंने जल संस्थान अधिकारियों को डांट फटकार लगाते हुए नई मोटर लगाने के निर्देश दिए लेकिन उनके निर्देश भी जल संस्थान ने ताक पर रख दिए अभी तक ना तो मोटर लगी और ना ही विद्यालय को पानी ही उपलब्ध हो पाया।
200 कर्मचारियों के साथ 500 विद्यार्थियों को हैंडसम से पानी ढोना पड़ रहा है। आवासीय विद्यालय के चलते यहां पर भोजन बनाने में बड़ी दिक्कत हो रही है इसके अलावा बच्चों को कपड़े के सामने नियमित नित्य कर्म भी करना होता है। चिंतित कई अभिभावकों ने यह भी बताया कि तो यहां के सभी शौचालय की इतनी बत्तर हालत है कि कहीं विद्यालय हैजा जैसी बीमारी न फैल जाए।
अगर देखा जाए तो केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत यह आवासीय जवाहर नवोदय विद्यालय मैं उन बच्चों को शिक्षा दी जाती है जो पूरे प्रदेश में मेरिट के आधार पर चयन होकर आते हैं ऐसे में इन बच्चों को मूलभूत आवश्यकता पानी भी उपलब्ध नहीं हो रहा है तो यह केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन जैसी कई योजनाओं पर प्रश्न चिह्न भी है पूरे देश भर में जल जीवन मिशन के लिए लाखों करोड़ों रुपए प्रचार प्रसार में लगाए जा रहे हैं ।
लेकिन धरातल पर कहीं भी यह खरी उतरती हुई दिख नहीं रही है। इसके अलावा इस योजना को संचालित करने वाले अधिकारी भी इस योजना को जमीनी स्तर पर उतरने में सफल भी नहीं हो पा रहे।
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