विधानसभा कार्यमंत्रणा समिति से विपक्ष का इस्तीफा, राज्य के इतिहास में संभवत पहली बार हुआ ऐसा

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उत्तराखंड विधानसभा कार्यमंत्रणा समिति से विपक्ष के दो विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इन नेताओं का आरोप है कि सरकार लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास कर रही है। बिना चर्चा के ही बिलों को सदन में पास कराने की कोशिश हो रही है।

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दरअसल उत्तराखंड का विधानसभा सत्र पांच फरवरी से शुरु हुआ है। ये विशेष सत्र सरकार ने खास तौर पर यूसीसी बिल को पास कराने के लिए बुलाया है। पांच फरवरी को ये बिल सदन में नहीं लाया गया। इसे छह फरवरी को सदन में लाने की तैयारी है। इसे ही लेकर विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक विधानसभा परिसर में ही बुलाई गई थी।

UCC का मसौदा पढ़ना चाहता है विपक्ष
बताया जा रहा है कि इस बैठक के दौरान समिति के सामने यूसीसी बिल को लाने के बारे में बताया गया। इसका विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने विरोध किया। दोनों ने मांग रखी कि पहले विपक्ष के विधायकों को इस बिल का मसौदा पढ़ने के लिए दिया जाए। इसके बाद इसे लेकर सवाल बनाए जा सकेंगे और आपत्तियों को लेकर सदन में चर्चा की जा सकेगी।

वहीं बताया जा रहा है कि कार्यमंत्रणा समिति में संसदीय कार्यमंत्री बिल को सदन में लाने पर अड़े रहे। इसके बाद विपक्ष के नेता नाराज हो गए और उन्होंने कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफे का ऐलान कर दिया।

सरकार पर लोकतंत्र को कुचलने का आरोप
बाद में मीड़िया से बातचीत के दौरान यशपाल आर्या ने सरकार पर लोकतंत्र को कुचलने का आरोप लगाया है। यशपाल आर्या ने कहा कि सरकार हर हाल में बिना चर्चा किए ही यूसीसी बिल को पास कराना चाहती है जबकि नियमों के मुताबिक इस बिल का मसौदा पहले सभी विधायकों को मिलना चाहिए ताकि वो उसे पढ़ सकें और प्रश्नों को उठा सकें लेकिन सरकार ऐसा नहीं चाहती है। सरकार की कोशिश है कि ये बिल हर हाल में पास हो जाए।

क्या होती है कार्यमंत्रणा समिति
दरअसल विधानसभा की कार्रवाई के दौरान कौन से बिल लाए जाएंगे और किन पर प्रश्नकाल के दौरान चर्चा होगी ये सबकुछ कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में ही तय होता है। इस समिति में विधानसभा अध्यक्ष के साथ ही संसदीय कार्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं।