सुनहरे इतिहास से सिर्फ 1 कदम दूर अल्मोड़ा का यह लाल है बधाई के लायक

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हलद्वानी एसकेटी डॉट कॉम

बैडमिंटन के ऑल इंग्लैंड विश्व चैंपियनशिप को अपने नाम करने के लिए अल्मोड़ा का लक्ष्य सेन सिर्फ एक कदम दूरी पर है लक्ष्य लक्ष्य अब इस खिताब को जीतने के बाद भारत के तीसरे खिलाड़ी हो जाएंगे जिन्होंने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता को अपने नाम किया । इससे पहले प्रकाश पादुकोण वर्ष 1980 में पी गोपी चंद 2001 ने इस खिताब को अपने नाम किया है।

लक्ष्य का सामना फाइनल में शीर्ष वरीयता प्राप्त डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन से होगा। अगर लक्ष्य फाइनल में कामयाबी हासिल करते हैं तो वह सुनहरे इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे। भारत के लिए प्रकाश पादुकोण (1980) और पुलेला गोपीचंद (2001) ने यह खिताब अपने नाम किया है। दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी साइना नेहवाल 2015 में उपविजेता बनी थी। वहीं प्रकाश नाथ 1947 में आयोजित इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे थे।


सेन ने 2016 के जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद साल 2018 में उन्होंने इसी टूर्नामेंट में पीला तमगा हासिल किया। सीनियर लेवल पर लक्ष्य सेन ने पिछले साल वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। भारतीय पुरुष खिलाड़ियों में लक्ष्य के अलावा प्रकाश पादुकोण और किदांबी श्रीकांत ही वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पदक जीतने में सफल रहे हैं।

भारतीय शटलर लक्ष्य सेन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बना ली है. शनिवार को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में लक्ष्य ने गत चैम्पियन मलेशिया के ली जि जिया को 21-13, 12-21, 21-19 से मात दी. 


लक्ष्य सेन ने इस साल जनवरी में इंडिया ओपन के जरिए अपना पहला सुपर 500 खिताब जीता था। फाइनल मुकाबले में लक्ष्य ने सिंगापुर के लोह कीन येव को मात दी थी।उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्मे लक्ष्य को बैडमिंटन खेल में देश का नाम रौशन कर रहे हैं। लक्ष्य के पिता डीके सेन नेशनल लेवल पर बैडमिंटन खेल चुके हैं और राष्ट्रीय स्तर के कोच भी हैं। डीके सेन वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी में अपनी सेवाएं दे  रहे हैं