अब देवभूमि में मिलेगा ऐसे त्वरित न्याय, हाई कोर्ट ने किया ऐसा जतन

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नैनीताल एसकेटी डॉटकॉम। देवभूमि के असहायों, महिलाओ, बालिकाओ और जांच अधिकारियों को अब त्वरित न्याय मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इस संबंध में आज एक नया प्रयोग कर दिया है। इस प्रयोग से अत्यधिक संवेदनशील मामलो , अत्यधिक दूरस्थ क्षेत्रो में रहने वाले लोगो के अलावा बालिकाओं को मदद मिलने की उम्मीद बन गई है। उत्तराखण्ड पूरे भारत में मोबाइल कोर्ट सुविधा शुरू करने वाला राज्य बन गया है।

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उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अनोखी पहल की शुरुआत की है। दूरस्थ इलाकों में महिलाओं और बुजुर्गों को उनके घर पर ही न्याय दिलाने के लिए मोबाइल कोर्ट की शुरुआत कर दी है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान ने मोबाइल कोर्ट के पांच सचल वाहन को हरी झंडी दिखाकर इस पहल का शुभारंभ किया। पहले चरण में राज्य के पांच जिलों चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी गढ़वाल जिले के लिए योजना की शुरुआत की जा रही है। इसके साथ ही उत्तर भारत में मोबाइल की कोर्ट की शुरुआत करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है।


हाई कोर्ट परिसर में मोबाइल कोर्ट के उद्धघाटन कार्यक्रम के दौरान इससे संबंधित दो मिनट की डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई और बताया गया कि किस तरह इस मोबाइल कोर्ट से लोगों को न्याय मिलेगा।

इस मौके पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सचल न्यायालय इकाईयों के व्यापक प्रयोग से वादकारियों अथवा वाद से संबंधित व्यक्ति विशेषतः संवेदनशील अपराधों से पीड़ित अथवा जो अत्याधिक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, उनकी दुर्गमताओं और कष्टों को कम किया जा सकेगा। इस योजना के लिए प्रारंभिक चरणों में पीड़ित अथवा साक्षी का साक्ष्य सचल न्यायालय इकाई के माध्यम से लिया जा सकेगा। विशेषकर बालक, बालिका, महिला, चिकित्सक अथवा अन्वेषण अधिकारी इसका लाभ ले पाएंगे।

उन्होंने कहा कि फिलहाल चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी गढ़वाल के लिए एक-एक सचल वाहन रवाना किया जा रहा हैं। यह प्राथमिकता रहेगी कि सभी जिलों में जल्द दो- दो वाहन संचालित किए जा सके।