कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानों पर लिखना होगा नाम, उत्तराखंड में मचा घमासान

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22 जुलाई से कावड़ यात्रा शुरू होने जा रही है। लेकिन पहली बार कावड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड सरकार ने एक फैसला लिया है जो कि चर्चा का विषय बन गया है। उत्तराखंड में जिसको लेकर सियासत भी देखने को मिल रही है। विपक्ष इसका जमकर विरोध कर रही है। तो वहीं इसको लेकर सरकार पर निशाना भी साध रही है।

उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों, होटल और ढाबे वालों को रेट लिस्ट के साथ ही अपना नाम भी लिखना होगा। उत्तराखंड पुलिस के द्वारा कावड़ यात्रा के दौरान इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। जिसके तहत होटल, रेस्टोरेंट और छोटे कारोबारियों पर सत्यापन ड्राइव चलाया जा रहा है। इसके साथ कांवड़ मार्ग पर जो होटल, ढाबे, रेस्तरां हैं या जो रेड़ी-पटरी वाले हैं उन्हें उनके मालिक का नाम अनिवार्य रूप से लिखना होगा। इसके साथ ही मोबाइल नम्बर भी प्रकाशित करना होगा।

सरकार का कहना है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि कांवड़िए जिस श्रद्धा भक्ति के साथ यात्रा पर आते हैं उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत न हो। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि मीडिया में भले ही ये मामला अब चल रहा हो लेकिन जिस दिन हरिद्वार में कावड़ यात्रा की तैयारी को लेकर बैठक हुई थी उस दिन ही ये निर्णय ले लिया गया था। सीएम धामी का कहना है कि कई तरह के सुझाव सरकार को मिले थे कि कुछ लोग अपनी पहचान छुपा कर दुकान खोल रहे हैं। अपनी पहचान छुपाने के कारण कई बार आपराधिक घटना भी घटित हुई है इसलिए फैसला लिया गया है।

कांग्रेस उछा रही सरकार के फैसले पर सवाल
सरकार के इस फैसले का जहां बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष समर्थन कर रहे हैं। तो वहीं कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है एक तरफ भाजपा जातीय जनगणना का विरोध करती है। पहले सत्यापन अभियान चलाया जाता था जिसका रिकॉर्ड प्रशासन के पास होता था। लेकिन ये पहली बार है जब सत्यापन अभियान के नाम पर पोस्ट बैनर पर दुकान होटल स्वामी या रेहड़ी ठेली वाले का पूरा बायोडाटा होगा।

कांग्रेस जाति और धर्म के नाम पर करती है बात
कांग्रेस के सवाल पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकार के द्वारा ऐसा प्रचारित प्रसारित नहीं किया जा रहा है कि किसी दुकान पर सामान ना लिया जाए खाना ना खाया जाए। हरिद्वार में जो कावड़ बनती है उसे सबसे ज्यादा मुस्लिम भाई बनाते हैं। लेकिन फिर भी कांवड़िए कांवड़ खरीदते हैं। कांग्रेस जिस तरीके से जाति और धर्म के नाम पर बात करती है उसे ये शोभा नहीं देता है।