नैनीताल ब्रेकिंग- पूर्व कुलपति ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार, हुई करोड़ो की साइबर ठगी




उत्तराखंड के नैनीताल जनपद से साइबर अपराध की चौंकाने वाली घटना सामने आयी है। रुहेलखंड विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति बीना शाह को साइबर अपराधियों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर 1.47 करोड़ रुपये की ठगी कर ली है। पुलिस व संबंधितों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 73 वर्षीय पूर्व कुलपति बीना शाह नगर के मल्लीताल स्थित गार्डन हाउस में अकेली रहती हैं। गत 14 अगस्त को उनके मोबाइल पर एक अज्ञात व्यक्ति ने ह्वाट्सएप कॉल किया। कॉल करने वाले ने स्वयं को महाराष्ट्र पुलिस के साइबर अपराध विभाग से जुड़ा बताते हुए कहा कि उनके नाम से केनरा बैंक में एक खाता खुला है, जिसमें मनी लांड्रिंग के तहत 60 करोड़ रुपये आये हैं।
डराकर रखा ‘डिजिटल अरेस्ट’
जब बीना शाह ने बताया कि उनके पास इस बैंक में कोई खाता नहीं है, तब कॉल करने वाले ने कहा कि यह खाता उनके प्रपत्रों से ही खोला गया है। इसके बाद उन्हें कॉल पर ही बने रहने और किसी अन्य व्यक्ति से बात न करने के लिये बाध्य किया गया। लगातार ऑडियो कॉल पर दबाव बनाते हुए उन्हें घर में ही ‘डिजिटल अरेस्ट’ की स्थिति में रखा गया। अपराधियों ने यह कहकर भरोसा दिलाया कि जांच पूरी होने के बाद समस्त धनराशि वापस कर दी जायेगी। 1.47 करोड़ रुपये ठग लिये
डर और भ्रम की स्थिति में पूर्व कुलपति ने अपने कूर्मांचल बैंक के खाते से 18 अगस्त से 21 अगस्त तक पाँच विभिन्न खातों में कुल 1.47 करोड़ रुपये जमा कर दिये। इसके बाद भी जब ठगों ने अतिरिक्त 20 लाख रुपये की मांग की और आरटीजीएस के लिये दबाव बनाया, तब उन्हें शंका हुई।
परिचित को बताने पर हुआ अहसास
बीना शाह ने भयभीत होकर अपने परिचित सेवानिवृत्त बैंक कर्मी सुनील अग्रवाल को इस विषय में बताया। तब जाकर उन्हें समझ आया कि वे साइबर अपराधियों के जाल में फंस चुकी हैं।
पुलिस में दी शिकायत
इसके बाद उन्होंने तत्काल मल्लीताल कोतवाली पुलिस और राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करायी। उनकी प्राथमिकी साइबर थाना में दर्ज कर ली गयी है। पुलिस अब साइबर अपराधियों की तलाश और ठगी गयी धनराशि वापस लाने के प्रयास में जुटी है।
डिजिटल अरेस्ट क्या है
डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराधियों की नयी तरकीब है, जिसमें वे स्वयं को पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ित को लगातार फोन या वीडियो कॉल पर रखते हैं। इस दौरान पीड़ित को बाहर की दुनिया से बातचीत करने नहीं दिया जाता और उसे यह विश्वास दिलाया जाता है कि वह अपराध के संदेह में है। भय और दबाव के चलते लोग अपनी निजी जानकारी व बैंक खातों से धनराशि ठगों को स्थानांतरित कर देते हैं।
इससे बचाव कैसे करें (Former Vice Chancellor Victim of Digital Arrest)
किसी भी अज्ञात कॉल पर अपनी बैंकिंग जानकारी साझा न करें।
यदि कोई स्वयं को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताये तो उसका पहचान पत्र और आधिकारिक नम्बर अवश्य सत्यापित करें।
संदिग्ध कॉल आने पर तुरन्त 1930 पर शिकायत करें।
साइबर अपराध की सूचना निकटतम पुलिस थाना अथवा www.cybercrime.gov.in पर दर्ज करायी जा सकती है।

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