परिवहन निगम में सामने आया करोड़ों का घोटाला, ऐसे हुआ खुलासा
उत्तराखंड परिवहन निगम की हाल ही में ऑडिट रिपोर्ट आई है। जिसमें कबाड़ बसों की नीलामी में 1.32 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। महालेखाकार कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 से 2023 के दौरान देहरादून, नैनीताल व टनकपुर मंडल में बसों की नीलामी की धनराशि में भारी अंतर है।
परिवहन निगम में सामने आया 1.32 करोड़ का घोटाला
ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि परिवहन निगम ने बसों की नीलामी 7.09 करोड़ रुपए दर्शाई है। जबकि टीसीएस रिटर्न में ये कीमत 8.42 करोड़ रुपए बताई गई। बताया गया कि परिवहन निगम इसका कोई ठोस जवाब नहीं दे सका। आडिट रिपोर्ट में निजी बैंक में परिवहन निगम की ओर से रखी गई 29.54 करोड़ रुपए की राशि पर भी आपत्ति जताई है।
परिवहन निगम अपने पैसों के लिए नहीं उठाता कोई कदम
महालेखाकार कार्यालय के मुताबिक उत्तराखंड शासन के वित्त अनुभाग के आदेश के क्रम में राज्य सरकार के सभी उपक्रमों व निगमों को अपनी धनराशि सार्वजनिक व राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा करनी है। लेकिन परिवहन निगम के 34 खातों में से आठ खाते निजी बैंकों में संचालित किए जा रहे हैं।
इसके साथ ही जांच में ये भी पाया गया कि निगम अपनी धनराशि वसूलने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाता है। लोकसभा चुनाव-2019, विधानसभा चुनाव-2022 व सरकार की ओर से चलाई जा रही जन-कल्याणकारी योजनाओं में बसों के भुगतान का 25.76 करोड़ रुपये लंबित है। लेकिन अब तक परिवहन निगम ने इसके लिए कोई भी कोशिश नहीं की है।
बस चली नहीं लेकिन हो गया फास्ट टैग के लाखों रूपयों का भुगतान
जांच में सामने आया है कि विभागीय मिलीभगत से अनुबंधित बसों का संचालन किया जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जो वाल्वो बस परिवहन निगम में संचालित नहीं हुई उस बस के फास्ट टैग के 2.43 लाख रुपए का भुगतान भी परिवहन निगम ने किया है। आडिट जांच रिपोर्ट में ऐसी कई और वित्तीय अनियमितताएं पकड़ी गई हैं।
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार मार्च-2023 तक परिवहन निगम में कुल 1243 बसें (919 परिवहन निगम की अपनी और 324 अनुबंधित) संचालित हो रही थीं। यात्रियों की सुरक्षा व बसों की निगरानी के लिए सभी बसों में कैमरे व जीपीएस लगाए जाने थे। जिसके टेंडर एक ठेकेदार को दिए गए। जांच में पाया गया कि बसों की निगरानी के लिए परिवहन निगम ने कोई व्यवस्था ही नहीं बनाई। वाल्वो बसों के अतिरिक्त अन्य सभी बसों में कैमरे टूटे हुए थे और जीपीएस भी बंद थे।
ई-टेंडर प्रक्रिया में भी ठेकेदारों से साठगांठ
आडिट रिपोर्ट के मुताबिक निगम की ई-टेंडर प्रक्रिया में भी घोटाला सामने आया है। इसमें ठेकेदारों से साठगांठ की पोल खुली है। इस दौरान 12 ई-टेंडर की जांच की गई जिसमें पता चला कि छह ई-टेंडर एक ही कंप्यूटर से फाइल किए गए। ऑडिट टीम ने ये खुलासा कंप्यूटर के आइपी एड्रेस की जांच करने के बाद किया है।
इसके साथ ही ऑडिट रिपोर्ट में परिवहन निगम की ओर से बसों के ठहराव के लिए अनुबंधित ढाबों के अनुबंध को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि टेंडर कोई और व्यक्ति डालता है जबकि ठेका किसी और को दे दिया गया। वर्ष 2022-23 में निगम को 4.11 करोड़ रुपये की आय अनुबंधित ढाबों से हुई लेकिन निगम अनुबंधित फर्म से जुड़ी अन्य सुविधाओं की जानकारी नहीं दे सका। बता दें कि इस मामले में निगम अधिकारियों के विरुद्ध विजिलेंस जांच भी चल रही है।
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