Maha Kumbh 2025: महाकुंभ भगदड़ में 82 लोगों की गई जान!, कई को दिए गए 5 लाख, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा


Maha Kumbh 2025 Stampede: प्रयागराज में 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में जो भगदड़ मची थी उसे लेकर अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सरकारी आंकड़े जहां इस हादसे में 37 लोगों की मौत की पुष्टि करते हैं। वहीं एक नई रिपोर्ट दावा कर रही है कि असल में 82 लोगों की जान गई थी।
महाकुंभ भगदड़ में 82 लोगों की गई जान!
बीबीसी हिंदी की एक पड़ताल के मुताबिक कई ऐसे परिवार सामने आए हैं। जिनके अपनों की जान भगदड़ में गई। लेकिन उनके नाम सरकारी लिस्ट में नहीं हैं। इनमें से 26 परिवार तो ऐसे हैं जो मौत के सबूत भी दिखा रहे हैं। लेकिन उन्हें मृतकों की सूची में शामिल तक नहीं किया गया।
सरकार ने 25 लाख मुआवजा दिया, लेकिन सबको नहीं मिला
राज्य सरकार की ओर से 37 मृतकों में से 35 के परिवारों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा दिया गया है। कुछ को ये राशि सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की गई। तो कुछ को चेक के जरिए दी गई। लेकिन रिपोर्ट का दावा है कि 26 परिवारों को अलग से 5-5 लाख रुपये कैश में दिए गए। वो भी बिना किसी आधिकारिक रसीद या दस्तावेज के।
इन परिवारों के पास वीडियो और तस्वीरें हैं। जिसमें उन्हें पुलिस या अधिकारियों द्वारा कैश दिया जा रहा है। रिपोर्ट में ये भी आरोप है कि इनसे जबरन ऐसे कागज़ों पर साइन कराए गए जिनमें मौत की वजह “तबीयत बिगड़ना” बताई गई थी ताकि भगदड़ का जिक्र ही न हो।
जिन्हें कुछ नहीं मिला
तो वहीं इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 19 परिवार ऐसे भी हैं जिन्हें ना तो 25 लाख मिले, ना ही 5 लाख। यानी कोई भी आर्थिक मदद नहीं दी गई। रिपोर्ट कहती है कि ये भी भगदड़ में जान गंवाने वालों में शामिल हैं और उनके पास गवाह और मेडिकल सबूत हैं।
कहां-कहां मची थी भगदड़? Maha Kumbh 2025 Stampede
मौनी अमावस्या के दिन चार अलग-अलग जगहों पर भगदड़ मचने की बात कही गई है। यही वजह है कि हादसे का पूरा आंकड़ा एक जगह से नहीं, बल्कि अलग-अलग जिलों से जुड़ता नजर आता है। बीबीसी की टीम ने 50 से ज्यादा जिलों में जाकर पड़ताल की और पाया कि कई मौतें ऐसी थीं जो रिकॉर्ड में नहीं हैं। लेकिन उनके पीछे साफ तौर पर भगदड़ की वजह थी।
मृतकों को तीन हिस्सों में बांटा गया
रिपोर्ट में 82 मृतकों को तीन हिस्सों में बांटा गया है:-
- 25 लाख पाने वाले — जिन्हें सरकार ने आधिकारिक रूप से मृत घोषित किया और मुआवजा दिया।
- 5 लाख कैश में पाने वाले — जिन्हें शायद शांत रखने के लिए कैश दिया गया, लेकिन कोई कानूनी दस्तावेज नहीं दिया गया।
- कुछ भी ना पाने वाले — जिनके अपनों की मौत तो हुई, लेकिन उन्हें सरकार ने मान्यता ही नहीं दी।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये आंकड़ा 82 से भी ज़्यादा हो सकता है क्योंकि कई लोग डर, गरीबी या जानकारी के अभाव में सामने ही नहीं आए।
तो क्या अब तक जो आंकड़ा सामने आया है वो अधूरा है?
क्या उन परिवारों की पीड़ा सिर्फ इसलिए अनसुनी रह जाएगी क्योंकि उनका नाम कागज़ पर नहीं है? रिपोर्ट कई गंभीर सवाल खड़े करती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इनका जवाब भी जल्द मिलेगा।
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