Lok Sabha Election : इस लोकसभा सीट पर भिड़ेंगे दो धुरंधर, लेकिन मतदाताओं में नहीं है कोई उत्साह
अल्मोड़ा संसदीय सीट पर इस बार फिर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर देखी जा रही है। लेकिन मतदाताओं में चुनाव को लेकर कुछ खासा उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है। उधर दौड़ में कोई अन्य क्षेत्रीय व निर्दलीय भी नहीं है। माना जा रहा है की इस बार भी इन दो धुरंधरों के बीच चुनाव सिमटने वाला है।
अल्मोड़ा संसदीय सीट पर भिड़ेंगे दो धुरंधर
बता दें राज्य गठन के बाद और उससे पहले भी अल्मोड़ा संसदीय सीट पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला मजेदार रहा है। इस बार भी चुनाव इन्हीं दो प्रत्याशियों के बीच सिमटता दिखाई दे रहा है। दोनों दलों के पास अपना मजबूत संगठन है। जबकि अन्य क्षेत्रीय व निर्दलीयों के पास संगठन व संसाधन दोनों का ही अभाव है। दोनों दल वोट पाने के लिए जनता के द्वार पर पहुंच रहे हैं।
दूरस्थ गांवों के मतदाताओं में नहीं है कोई उत्साह
बता दें अल्मोड़ा संसदीय सीट चीन और नेपाल सीमाओं से लगा हुआ है। पूरी तरह यह हिमालयी व पहाड़ी क्षेत्रों से घिरा हुआ है। यहां की 75 फीसद आबादी गांवों में रहती है। जबकि 25 प्रतिशत शहरी क्षेत्र है। यही वजह है कि दूरस्थ गांवों में तो चुनाव को लेकर कोई उत्साह भी नहीं दिखाई दे रहा है। मतदाताओं का कहना है कि जब कोई आएगा तो तब देखेंगे।
50 प्रतिशत के आसपास ही रहता है मत प्रतिशत
कई ग्रामीण क्षेत्रों में तो हाल ये है की वे प्रत्याशियों का नाम तक नहीं जानते हैं। इसलिए यहां मत प्रतिशत भी 50 प्रतिशत के आसपास ही रहता है। लोकसभा का पूरा चुनाव शहरों व ब्लाक मुख्यालयों पर ही सिमटकर रह जाता है। संगठन के कार्यकर्ता पर ही प्रत्याशी निर्भर रहता है।
1977 में भारतीय लोक दल के प्रत्याशी को मिली थी जीत
लोकसभा चुनाव की दृष्टि से देखें तो अल्मोड़ा सीट के इतिहास में जनता ने 11 बार कांग्रेस और सात बार भाजपा प्रतिनिधित्व सौंपा है। इस दौरान दो उपचुनाव हुए और उसमें कांग्रेस को जीत मिली। साल 1977 में भारतीय लोक दल को भी अल्मोड़ा सीट से जनता ने जिताया था। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, बसपा समेज सात प्रत्याशी चुनावी मैदान में है।
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