Lok Sabha Election : वो चुनावी दौर जब राजनेताओं पर फेंके गए थे पत्थर, इंदिरा गांधी को करवाना पड़ा था नाक का ऑपरेशन

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चुनावों को लेकर हमारे देश में सालों से ही उत्साह देखने मिलता है। कभी हमारे देश में सालों पहले चुनाव त्योहार की तरह मनाए जाते थे। जब देश का पहला चुनाव हुआ तो लोगों को बस इतना पता था की अब अंग्रेजों की हुकूमत नहीं रही। अब देश में भारतीयों का ही राज होगा इस उत्साह में तब लोगों ने चुनावों को त्योहार की तरह मनाया था। पर अब सवाल ये उठता है की अगर देश के लोग चुनावों को लेकर इतने उत्साहित रहते थे तो साल 1982 और 1967 के चुनावी दौर में राजनेताओं पर पत्थर क्यों फेंके गए।

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वो चुनावी दौर जब राजनेताओं पर फेंके गए थे पत्थर
राजनेताओं पर पत्थर फेंकने की बात सुनने के बाद हो सकता है आप हैरान हो गए हों क्योंकि हम आज ऐसे समय में रह रहे हैं जहां प्रधानमंत्री की सुरक्षा कि जिम्मेदारी SPG जैसे सुरक्षा दलों के हाथों में होती है। आपको याद दिला दें आज से कुछ साल पहले जब पीएम मोदी के काफिले को कुछ प्रदर्शकारियों ने अवरुद्ध कर दिया था तो इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक माना गया था। आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सुरक्षा भी कई बार खतरे में पड़ गई थी। यही नहीं दो बार तो उन पर रैली के दौरान पत्थर भी बरसाए गए थे।

इंदिरा गांधी पर फेंके गए थे पत्थर
साल 1967 के आम चुनाव के दौरान वैशाख का महीना था इस दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश भर में घूम-घूम कर अपना चुनाव प्रचार कर रहीं थी। इसी सिलसिले में वो भुवनेश्वर भी पहुंचीं, यहां इंदिरा की रैली होनी थी। इंदिरा मंच पर चढ़ी और भाषण देना शुरू किया तभी अचानक भीड़ से एक पत्थर आकर इंदिरा को लगा। देखते ही देखते मंच पर पत्थरों की बरसात होने लगी। ये देखकर सुरक्षाकर्मी और कार्यक्रम के आयोजक इंदिरा से मंच छोड़ने कि विनती करने लगे। लेकिन इंदिरा ने साफ इन्कार कर दिया वो मंच पर माइक पकड़ के डटी रहीं और कहा मैं पीछे नहीं हटूंगी।

इंदिरा की नाक से फूट पड़ी खून की धार
तभी एकाएक एक ईंट आकर उनके नाक पर लगी और इंदिरा की नाक से खून की धार फूट पड़ी। ये देखते ही कांग्रेसी कार्यकर्ताओं समेत सुरक्षाकर्मियों के हाथ पांव फूल गए। सभी ने उनसे बार-बार आग्रह किया की वो मंच छोड़ दें और वापस चली जाएं। लेकिन इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी।

उन्होंने एक रुमाल निकाला और अपनी नाक से निकलते खून को रुमाल से रोकने की कोशिश की। इंदिरा ने माइक संभालते हुए मंच से कहा – आज पत्थर माकर इन उपद्रवियों ने मेरा ही नहीं बल्कि सारे भारत का अपमान किया है। प्रधानमंत्री होने के नाते मैं सारे देश का प्रतिनिधित्व करती हूं और आज से पत्थर मुझे नहीं भारत की अस्मिता को लगा है।

नाक का करवाना पड़ा था ऑपरेशन
बता दें कि इस खबर को लेकर the Daily Illini अखबार ने नौ फरवरी 1967 को प्रकाशित अपने अंक में लिखा ऐसे उपद्रवियों को लेकर इंदिरा गांधी ने लोगों से सवाल किया कि क्या आप ऐसे लोगों को वोट करना चाहते हैं कि जो इस तरह की गुंडागर्दी करते हैं।
इसी चोट के साथ इंदिरा ने कोलकाता में भी भाषण दिया।

अपनी सारी सभाएं खत्म करने के बाद ही इंदिरा दिल्ली लौटी। जब उन्होंने दिल्ली जाकर अपना एक्स-रे कराया। तब पता चला कि उनकी नाक पर काफी चोट आई है। ये चोट इतनी गंभीर थी कि डॉक्टरों को उनकी नाक का ऑपरेशन तक करना पड़ा था।

उत्तराखंड में भी इंदिरा पर बरसाए गए थे पत्थर
सिर्फ यही एक जगह नहीं थी जहां इंदिरा को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। जब साल 1982 के दौरान इंदिरा उत्तराखंड के गौचर में एक जनसभा को संबोधित करने आईं थी। तब हेमवती नंदन बहुगुणा के समर्थकों ने उनके हेलीकाप्टर पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। ये भीड़ इतनी आक्रोशित थी कि इंदिरा को इस पथराव से बचने के लिए फॉरेस्ट के गेस्ट हाउस में शरण लेनी पड़ी थी।