Lok Sabha Election 2024 : हरिद्वार में क्या लगेगी कांग्रेस की नैय्या पार ?, इस बार दोहरा पाएगी 15 साल पुराना इतिहास

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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर धीरे-धीरे सियासी पारा हाई होता जा रहा है। मतदान का वक्त भी नजदीक आ रहा है। 19 अप्रैल को प्रदेश की पांचों सीटों पर मतदान होना है। इस से पहले प्रदेश की तीन सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। हरिद्वार लोकसभा सीट पर मुकाबला कड़ा हो रहा है। जहां एक ओर बीजेपी पांच लाख के वोटों के अंतर से जीतने की बात कह रही है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए जीतना लक्ष्य है।

हरिद्वार में क्या लगेगी कांग्रेस की नैय्या पार ?
योग-आयुर्वेद और अध्यात्म नगरी के तौर पर देश ही नहीं दुनियाभर में पहचान रखने वाली हरिद्वार लोकसभा में चुनावी शोरगुल अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है। वैसे तो ये सीट प्रदेश की अन्य सीटों से काफी अलग है। लेकिन यूपी से लगती इसकी सीमाएं और यहां के वोटर इसे खास बनाती है।

इस बार प्रदेश में सबसे ज्यादा मतदाताओं वाली इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो रहा है। यहां से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में है। हरिद्वार में मुकाबला त्रिकोणीय होता जा रहा है। जहां कांग्रेस से दिग्गज नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत मैदान में हैं तो वहीं बीजेपी से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत मैदान में है। इसके साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार के चुनाव मैदान में होने से मुकाबला और भी रोटक हो गया है। इस बीच कांग्रेस के लिए जीत की राह आसान नजर नहीं आ रही है।

इस बार कांग्रेस दोहरा पाएगी 15 साल पुराना इतिहास ?
हरिद्वार सीट पर कांग्रेस के लिए जीतना इतना आसान भी नहीं है इसलिए क्योंकि कांग्रेस हरिद्वार सीट से आखिरी बार साल 2009 में जीती थी। उसके बाद से अब तक कांग्रेस यहां पर जीत दर्ज नहीं कर पाई। बता दें कि साल 1977 से लेकर साल 2019 तक इस सीट पर भाजपा सबसे ज्यादा छह बार, एक बार बीएलडी, एक बार जेएनपी-एस और एक बार समाजवादी पार्टी जीती है।

अब सवाल ये उठता है कि क्या इस बार कांग्रेस अपने 15 साल पुराने इतिहास को दोहरा पाएगी या नहीं। इसके साथ ही मामला त्रिकोणीय होने के कारण सवाल ये भी उठता है कि क्या बीजेपी इस बार हरिद्वार से जीत की हैट्रिक लगा पाएगी। हालांकि बीजेपी के लिए जीत मुश्किल नजर नहीं आ रही क्योंकि पिछले 10 सालों से बीजेपी ही यहां जीती है।

कब और किसने जीत की हासिल

  1. 1977 भगवान दास बीएलडी
  2. 1980 जगपाल सिंह जेएनपी-एस
  3. 1984 सुंदर लाल कांग्रेस
  4. 1989 जगपाल सिंह कांग्रेस
  5. 1991 राम सिंह भाजपा
  6. 1996 हरपाल साथी भाजपा
  7. 1998 हरपाल साथी भाजपा
  8. 1999 हरपाल साथी भाजपा
  9. 2004 राजेंद्र कुमार सपा
  10. 2009 हरीश रावत कांग्रेस
  11. 2014 डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भाजपा
  12. 2019