#Land dispute-रामड़ी के जसुवा तोक में रात को जनरेटर के उजाले जमीन में कब्जे की कवायद!

Ad
Ad
ख़बर शेयर करें

हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम

भावरी क्षेत्र में आबादी बढ़ने से ज़मीन का महत्व बढ़ने लग गया है जमीन की आसमान छूती कीमतों ने भाइयों के रिश्तो में जमीन को लेकर बड़ी-बड़ी दीवारे खड़ी हो गई है कहा जाता है कि जमीन जमीन ही बनी रहती हैं लेकिन आपस के रिश्तो में जमीन आसमान का अंतर आ जाता है.

ऐसा ही एक मामला कठघरिया के समीप रामड़ी जसवा मैं भी पूरे दिन मान भर चलता रहा जहां एक पक्ष के लोगों ने दिनमान भर की कवायद के बाद रात को जनरेटर के उजाले में जमीन की पैमाइश में खुटे बंदी के कार्य को अंजाम दियाजा रहा था.. निश्चित तौर पर जिस तरह से सारी रात के अंधेरे में किया जा रहा है तो यह माना जा सकता है कि इस जमीन के बंटवारे में दोनों पक्षों के बीच आपसी रजामंदी नहीं है. जिससे निश्चित रूप में दोनों परिवारों के बीच खटास की स्थिति बनी हुई है. हालांकि यह मामला एसडीम की अदालत में चल रहा था जहां पर एक पक्ष द्वारा कुर्रे कराए जाने के विषय को लेकर यहां पर पैमाइश की और उस जमीन पर रात में जनरेटर के उजाले से काम होता हुआ दिखा कई दर्जनों मजदूर इस काम में जुटे हुए थे .

सच की तोप के प्रतिनिधि का वहां से गुजरे और उन्हें वहां पर कुछ ऐसा मामला देखना जो कि कहीं न कहीं आपसी समन्वय के नहीं हो रहा था तो उन्होंने रुक कर वहां पर जायजा लिया तो जनरेटर जलाने की तैयारी हो रखी थी और दर्जनों से अधिक मजदूर मसाला तैयार कर रहे थे और नहर के ऊपर दीवार दी जा रही थी जेसीबी से लाइट जलाई हुई थी.

इस मामले में स्थानीय मुखानी चौकी की s.h.o. रमेश सिंह बोरा से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि शांति व्यवस्था हेतु 2 पुलिस के सिपाही उप निरीक्षक प्रीति के नेतृत्व में वहां भेजे गए जहां जहां उन्हें एक पक्ष के द्वारा न्यायालय के कागज दिखाए गए जिसमें उनके इसे की खूटे बंदी करने के आदेश थे जिसको लेकर वह वहां खुटे बंदी कर रहे थे वहीं दूसरे पक्ष की ओर से बताया गया कि यह जमीन उनके कब्जे में है और उनकी खड़ी फसल को रोकने का काम किया गया है जो कि कानूनन अपराध है और बलपूर्वक ध्यानपूर्वक उनकी जमीन पर जबरदस्ती उनकी सहमति के के बगैर दिन पर कब्जा लिया जा रहा है वही एसएचओ ने बताया कि दूसरे पक्ष द्वारा कोई भी कागज नहीं दिखाया गया.

पूरे क्षेत्र में यह मामला चर्चा का विषय है पुराने लोगों जानकारी हासिल करने पर यह पाया गया कि यह जमीन पर स्वर्गीय शिवदत्त सती जी काबिज थे उसके बाद उनकी इस जमीन की देखरेख उनके बेटे गिरीश सती कर रहे थे. जानकारी करने पर उन्होंने बताया कि उनके चचेरे भाइयों द्वारा की खड़ी फसल को रौंद दिया है उनकी सहमति बगैर यह सब कुछ हो रहा है जबकि खेत पर संयुक्त खाता है.