जानिये इस साल किस वजह से 26 जनवरी को राजपथ पर हाथी की सवारी करेगा रुद्रप्रयाग का नितिन

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देहरादून एसकेटी डॉट कॉम

26 जनवरी को देश के चुने हुए कुछ बच्चे राजपथ पर हाथी की सवारी करते हुए सबकी आंखों के तारे बने हुए रहते हैं यह बच्चे इसलिए हाथी की सवारी करते हैं क्यों इन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त किया होता है ऐसा ही कार्य उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की तमिण्ड गांव के आशीष ने भी किया है इसकी वजह से उसका नाम राष्ट्रीय बालवीर पुरस्कार के लिए चयन हुआ है हालाकि पौड़ी के दो अन्य बच्चों का नाम भी वीरता पुरस्कार के लिए भेजा गया है जनों ने अपनी अध्यापिका के साथ मिलकर आग बुझाई जिससे उनका स्कूल बच सका.

जानकारी के अनुसार18 साल के नितिन का 12 जुलाई 2021 की सुबह गुलदार से सामना हो गया था। गुलदार नितिन पर झपट पड़ा। नितिन भी गुलदार से जूझने लगा। तभी गुलदार ने नितिन को छोड़कर उसके बड़े भाई सुमित पर हमला कर दिया। तब नितिन ने एक छड़ी की मदद से गुलदार का सामना किया था। जिससे वो अपनी और अपने भाई की जान बचाने में कामयाब रहा।

इसी तरह नैनीडांडा के 9वीं कक्षा के छात्र आयुष ध्यानी और अमन सुंद्रियाल ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका के साथ जंगल में लगी आग बुझाकर स्कूल को सुरक्षित बचाया था। अब राज्य बाल कल्याण परिषद ने वीरता पुरस्कार के लिए इन बहादुर बच्चों के नाम भेजे हैं।

आयुष ध्यानी और अमन सुन्द्रियाल

पुरस्कार के लिए अंतिम चयन भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली की ओर से किया जाएगा। बता दें कि भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 से वीरता पुरस्कार शुरू किए थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है।


रुद्रप्रयाग के नितिन रावत को मिलेगा वीरता पुरस्कार, गुलदार से लड़कर बचाई थी भाई की जान
अब तक उत्तराखंड के 14 बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इस बार प्रदेश से तीन बच्चों का नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेजा

रुद्रप्रयाग: अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की जान बचाने वाले पहाड़ के तीन बहादुर बच्चों के नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजे है.
इनमें रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले नितिन, पौड़ी गढ़वाल के आयुष ध्यानी एवं अमन सुंद्रियाल शामिल हैं।

राज्य बाल कल्याण परिषद ने भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली को इन तीनों बच्चों के नाम भेजे हैं।

अब तक उत्तराखंड के 14 बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। जिनमें टिहरी गढ़वाल के हरीश राणा, हरिद्वार की माजदा, अल्मोड़ा की पूजा काण्डपाल, देहरादून के प्रियांशु जोशी, इसी जिले की स्वर्गीय श्रुति लोधी, रुद्रप्रयाग के स्वर्गीय कपिल नेगी, चमोली की स्वर्गीय मोनिका, देहरादून के लाभांशु, टिहरी के अर्जुन, देहरादून के सुमित ममगाई, टिहरी के पंकज सेमवाल, पौड़ी की राखी, पिथौरागढ़ के मोहित चंद्र उप्रेती, नैनीताल के सनी शामिल हैं।

चलिए अब आपको उन बच्चों की बहादुरी के किस्से बताते हैं, जिनके नाम इस बार के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए गए हैं। इनमें पहला नाम रुद्रप्रयाग के तमिंड निवासी नितिन का है।