जानिए, उद्यान निदेशक हरविंदर बावेजा के कारनामे, खूब खेला ‘खेल’, कोर्ट को भी दिखाया ठेंगा

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नैनीताल हाईकोर्ट ने उद्यान घोटाले की जांच अब सीबीआई को सौंप दी है। भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में रहा उत्तराखंड का उद्यान विभाग एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। जिस वजह से पूर्व निदेशक हरविंदर बावेजा की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है।

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HC ने सौंपी CBI को जांच
हाईकोर्ट ने उद्यान विभाग में हुए घोटाले की सीबीआई जांच को लेकर 26 अक्टूबर को फैसला सुनाया। बावेजा पर गंभीर आरोप लगने के बाद धामी सरकार ने उसे पहले ही सस्पेंड कर दिया था।

SIT की जांच से असंतुष्ट था HC
बता दें मामले की जांच एसआईटी भी कर रही थी। लेकिन हाईकोर्ट एसआईटी की जांच से संतुष्ट नजर नहीं आया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दे दिए।

निदेशक रहते हुए बावेजा ने खेला करोड़ों का खेल

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उद्यान विभाग के निदेशक रहते हुए हरविंदर बावेजा ने करोड़ों का खेल खेला और सरकार को चूना लगाया। विभाग में हुए घोटाले की जांच को लेकर अहम पड़ाव रहे हैं। विस्तार से बताते हैं आपको क्या कुछ हैं बावेजा पर आरोप

ये हैं हरविंदर बावेजा पर आरोप
बिना सचिव की अनुमति के किवी के पौधों का दाम रिवाइज करते हुए 75 रुपए प्रति पौधे से 225 रुपए प्रति पौधे कर दिया गया।
यही नहीं किवी ग्राफ्ट के दाम 175 रुपए प्रति पौधे से बढ़ा कर 275 रुपए कर दिए और इसी पर खरीद की।
अदरक और हल्दी के बीजों की खरीद में भी बावेजा पर वित्तीय अनियमितता के हैं आरोप।
बावेजा रानीखेत स्थित हार्टीकल्चर बिल्डिंग की जगह देहरादून से काम चला रहे थे।
बावेजा ने चंपावत, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी जिले के चीफ हार्टिकल्चर ऑफिसर्स को चिट्ठी लिखकर उत्तरकाशी के ओधगांव, बड़कोट तहसील की अनीका टेडर्स से फलों के पौधे लेने के लिए दबाव बनाया।
जांच में पता चला कि अनीका टेडर्स नाम की कोई नर्सरी उस पते पर है ही नहीं…. बाद में जांच में सामने आया कि अनीका टेडर्स बड़कोट के लोधान गांव में है लेकिन वहां भी उसकी नर्सरी नहीं है।
नर्सरी को जो लाइसेंस दिया गया वो भी संदिग्ध है और इसी लाइसेंस के आधार पर उसे आर्डर मिला।
बावेजा पर आरोप हैं कि उन्होंने जम्मू कश्मीर की नर्सरियों से निम्न प्रजाति के फलों के पौधे मंगाए।
बावेजा ने जम्मू कश्मीर के कुलगाम की ग्रीन नर्सरी को सेब और अन्य फलों की एक लाख पौध उपलब्ध कराने का आदेश दे दिया। जबकि ग्रीन नर्सरी की कुल क्षमता ही 41 हजार पौध की है। ये बात नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड के रिकॉर्ड से साबित होती है।
हाईकोर्ट ने 1 मार्च 2023 को आदेश दिया कि अनीका ट्रेडर्स को कोई भुगतान नहीं किया जाए…..जब तक मामले का निपटारा न हो जाए….इस आदेश के बावजूद दो और तीन मार्च 2023 को अनीका को एक करोड़ छिहत्तर लाख अंठानवे हजार रुपए का पेमेंट कर दिया गया।
उत्तरकाशी के चीफ हार्टिकल्चर ऑफिसर अनिल मिश्रा की भूमिका भी संदिग्ध, कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर दिया पेमेंट, फिलहाल मिश्रा रिटायर हो चुके हैं।
हिमाचल की भी कुछ नर्सरियों से मिलीभगत कर निम्नतर प्रजाति के पौधे मंगाए बरकोट एग्रो फार्म्स हिमाचल से सेब के पौधे मंगाए गए। ये पौधे मुख्यमंत्री समेकित उद्यान योजना के तहत 50 फीसदी सब्सिडी योजना के तहत मंगाए गए।
इसके तहत पचास फीसदी राशि उद्यान विभाग से जाती है और बची हुई पचास फीसदी राशि किसान से दो सालों में ली जाती है। वो भी तब जब पौधे जीवित रहें।
बरकोट एग्रो ने पौधे बेचने के लिए प्रस्ताव दिया 29 मार्च 2023 को जबकि उसके पहले 15 फरवरी 2023 को ही उसे करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया।
भीमताल में 3100 सेब के पौधे बांटे जाने का रिकॉर्ड सामने आया जिसमें बीजेपी विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल को ही 2402 पौधे दे दिए गए। जबकि उनके पास इतने पौधे लगाने की जगह भी नहीं थी।