केदारनाथ गर्भगृह का हुआ कायाकल्प, सोने की परतों से सजाया
बाबा केदारनाथ धाम मंदिर के गर्भगृह का अब कायाकल्प हो गया है, जो अब श्रद्धालुओं को नए रूप में दिखाई देगा। केदारनाथ धाम के गर्भगृह को सोने की परतों से सजाया गया है। एएसआई के अधिकारियों ने आज सुबह 550 सोने की परतों से गर्भगृह की दीवारें, जलेरी व छत सजाने के काम को पूरा कर लिया है। महाराष्ट्र के एक व्यक्ति के दान के सहयोग से बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने यह काम किया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और केंद्रीय भवन अनुसंधान रुड़की व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के छह सदस्यीय टीम ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह का निरीक्षण किया था। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत लगाने का काम किया गया। दान के सहयोग से बीकेटीसी ने विभाग के अधिकारियों की देखरेख में गर्भगृह, जलेरी व छत पर सोने की परत चढ़ाने का काम शुरू किया, जो कि अब अंतिम चरम में है। इस कार्य में 19 मजदूरोें को लगाया गया है। 550 सोने की परतों को गौरीकुंड से घोड़े-खच्चरों की सहायता से केदारनाथ धाम लाया गया है।
बता दें इन परतों को एक सप्ताह पहले नई दिल्ली से विशेष स्कॉट और पुलिस की निगरानी में गौरीकुंड लाया गया था। इन परतों को लगाने से पहले सितंबर में गर्भगृह, जलेरी और छत से चांदी की परतों को उतारने का काम किया गया था। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह पर सोने की परतें चढ़ाने का काम लगभग पूरा हो गया है।
गौरतलब है कि दशकों पहले केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को खाडू घास से सजाया जाता था। इसके लिए घास को उगाने के लिए केदारघाटी में कुछ खेत चिह्नित किए गए थे। बाद में घास की जगह गर्भगृह को कटवा पत्थर से सजाया गया। जबकि अस्सी के दशक में गर्भगृह को टीन से सजाया गया था, लेकिन कुछ साल पहले इन्हें हटा दिया गया था। बाद में किसी दानी व्यक्ति के सहयोग से गर्भगृह को चांदी की परतों से सजाया गया था।
केदारनाथ धाम के कपाट कल होंगे बंद
भैयादूज पर्व यानी 27 अक्टूबर को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट बंद सुबह सुबह 8ः 30 बजे बंद कर दिए जाएंगे। इससे पहले आज सुबह केदारनाथ में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बाबा केदार की भोग मूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में
विराजमान किया गया। इसके बाद विधि विधान से बाबा की डोली को मंदिर के सभामंडप में विराजमान किया गया है। कल कपाट बंद होन के बाद छह महीने बाबा केदार की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में की जाएगी। बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर आयेगी। 28 को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में विश्राम करेगी और 29 को डोली ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। जबकि सोनप्रयाग होते हुए बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर में रात्रि प्रवास करेगी।
आज बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट
वहीं प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट आज अन्नकूट पर्व पर दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर बंद हो गए। कपाट बंद होने के बाद देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास मुखीमठ (मुखवा) में कर सकेंगे। इसके अलावा भगवान केदारनाथ के कपाट 27 अक्टूबर यानी भैयादूज पर्व पर सुबह साढ़े आठ बजे वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक परंपराओं के साथ विधिविधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। साथ ही यमुनोत्री धाम के कपाट भी भैया दूज पर 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर बजे बंद कर दिए जाएंगे।
19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे
बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। 20 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर और उद्धव की उत्सव डोली धाम से अपने शीतकालीन प्रवास स्थल पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी
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