Kedarnath : केदारनाथ आ रहे हैं तो जरूर जाएं यहां, नजारें आपको कर देंगे मंत्रमुग्ध

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KEDARNATH

केदारनाथ आने के लिए अगर आप प्लान बना रहे हैं तो आपको इन जगहों पर भी जरूर जाना चाहिए। ये जगहें जितनी ही खूबसूरत है उतनी ही रोमांच से भरा इसका सफर भी है। भौगौलिक परिस्थितियों के कारण यहां तक पहुंचने में आपको थकान होगी। लेकिन यहां पहुंचे के बाद खबसूरत नजारों को देख सारी थकान भूल जाएंगे।

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जरूर जाएं वासुकी ताल यानी लैंड आफ ब्रह्मकमल

केदारानाथ से कुछ ही दूरी पर स्थित वासुकी ताल आपको जरूर जाना चाहिए। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। वासुकी ताल को लैंड आफ ब्रह्मकमल के नाम से भी जाना जाता है। यहां के बह्मकमलों को इसलिए खास माना जाता है क्योंकि भक्त केदारनाथ से ट्रैक कर इतनी दूर इन ब्रह्मकमलों को लेने लाते हैं। फिर केदारनाथ जाकर इन्हें भगवान शिव के चरणों में अर्पित कर देते हैं।

वासुकी ताल

केदारनाथ से 8 किमी की दूरी पर स्थित वासुकी ताल काफी खूबसूरत स्थान है। यहां से चौखम्बा की चोटियां साफ-साफ दिखाई देती हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक कहा जाता है की यही वो जगह है जहां रहस्यमय तरीके से हर रक्षाबंधन के दिन भगवान विष्णु स्नान करने आते हैं।

दिल के आकार का है ये रहस्यमयी ताल

रुद्रप्रयाग में मदमहेश्वर से 60 किमी की दूरी पर स्थित है पनपतिया ग्लेशियर जहां एक रहस्यमयी ताल मौजूद है। आपको बता दें कि इस खूबसूरत ताल की खोज कुछ नेचर लवर्स ने की थी। लेकिन कोई नहीं जानता की आखिर ये रहस्यमयी ताल यहां बना कैसे। यहां तक पहुंचने के लिए आपको मदमहेश्वर-धौला क्षेत्रपाल-कांचनीखाल का रूट तय करना पड़ेगा। अगर आपको एडवेंचर करना पसंद है तो आप एक बार इस दिल के आकार वाले ताल तक ट्रैक जरुर ट्राई कर सकते हैं।

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यहां देवराज इंद्र आते हैं स्नान करने

रुद्रप्रयाग से 49 किमी की दूरी पर देवरिया ताल स्थित है। ये जगह इतनी खूबसूरत है कि देवताओं के राजा इंद्र यहां स्नान करने आते हैं। एक लोककथा के मुताबिक ये झील यक्षों के अधीन है। कहा जाता है ये वही ताल है जहां जंगलों और प्राकृतिक खजानों का रखवाला यक्ष रहता है। बता दें ये वही यक्ष है जिसने वनवास के दौरान पांडवों से सवाल किए थे। ट्रैक प्रेमी इसे अपनी लिस्ट में जरूर शामिल कर सकते हैं।

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देवरिया ताल

बधाणीताल है बेहद खूबसूरत

रुद्रप्रयाग से 60-62 किमी की दूरी पर बधाणीताल स्थित है। ये ताल भगवान विष्णु को समर्पित है। कहते हैं कि यहां पंचमी, मकर संक्रांति, पूर्णिमा या अमावस्या के दिन स्नान करने से पुण्य मिलता है। इस ताल में रंग बिरंगी मछलियां आकर्षण का केंद्र हैं। प्राकृतिक नजारों से घिरे इस ताल का नजारा सुकून भरा होता है।

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