कांवड़ का जाम और पुलिस की अवैध वसूली ने तोड़ी व्यापारियों की कमर

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पार्वतीय और मैदानी क्षेत्र की उपज पर संकटके बादल

हल्द्वानी skt. com

दिल्ली के आजाद पुर स्थित मंडी के बाद हल्द्वानी मंडी पूरे उत्तर भारत की दूसरे नंबर की मंडी है यहां पर पर्वतीय क्षेत्र के अलावा मैदानी क्षेत्र की उपज पहुंचती है।

इसी मंडी के माध्यम से काश्तकार अपनी उपज को उपभोक्ताओं तक आढ़तियों के माध्यम से पहुचाता है।

लेकिन फिलहाल सावन मास में कावड़ियों के लिए प्रशासन के द्वारा की गई व्यवस्था व्यापारियों के लिए सर दर्द बनी हुई है। मैदानी क्षेत्र से आने वाली उपज तथा पहाड़ी क्षेत्र से मैदानी क्षेत्रों को जाने वाली उपज इससे प्रभावित हो रही है प्रशासन की व्यवस्था इस तरह से है कि एक तरफ की सड़क पूरी तरह से कांवड़ियों के लिए आरक्षित है वहीं दूसरी सड़क पर दोनों तरफ से आने वाला ट्रैफिक चल रहा है।

लेकिन इस बीच यह ट्रैफिक माल वाहक वाहनों के लिए बंद ही है माल वाहक वहां बड़ी भारी मात्रा में उपज लेकर पहुंच रहे हैं तो उन्हें निकालने के लिए प्रशासन द्वारा कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा रही है बल्कि जगह-जगह उपज लेकर आ रहे वहां खड़े दिखाई दे रहे हैं।

इसके बाद अगर कोई वाहन देर रात्रि निकाल कर आता है तो उसे अगले दिन अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने से पहले पुलिस की वसूली से भी दो-चार होना पड़ता है ।
इसमें मजबूरी के चलते माल स्वामी अपने चालकों से मामले को ले देकर निपटाने को कहते हैं क्योंकि ट्रक में कोई छोटी रकम नहीं बल्कि लाखों लागत की उपज पड़ी होती है ।

अगर वह समय से अपने गंतव्य मंडी पर नहीं पहुंच पाएगी तो वह रास्ते में ही खराब हो जाएगी जिससे माल स्वामी को भारी नुकसान हो जाएगा । वही खरीददार इस उपज का पहले ही भुगतान कर चुका होता है इसीलिए उसे मजबूरी में पुलिस की वसूली के आगे नतमस्तक होकर उसकी जेब भरकर आगे बढ़ना पड़ता है
पहाड़ से आने वाले आचारी आम की हालत यह है कि पहाड़ के आम उत्पादक को उसकी लागत भी नहीं मिल पाती है बारदाना ढूंलाई के अलावा सड़क पर पहुंचने के बाद किसी भी तरह से यह माल मंडी में पहुंच सके लेकिन कावड़ के चलते जगह-जगह जाम होने की वजह से मैदानी क्षेत्र का व्यापारी इस उपज को खरीदने से परहेज कर रहा है। जिससे पहाड़ किसान की उपज को खरीदने के लिए कोई भी तैयार नहीं है जिसकी वजह से यह समस्या है कि की ऊपर हल्द्वानी के मंडी में ही गर्मी से सड़ जा रही है। क्योंकि पहाड़ में आम और नाशपाती लगभग तैयार हो चुका है तथा वह मंडी में भेजा जा रहा है लेकिन पर्वतीय क्षेत्र से मैदानी क्षेत्रों को जाने वाले रास्ते कांवड़ियों और पुलिस की वसूली के चलते आगे की यात्रा दूभर हो गई है। ।

पुलिस के सिपाही ट्रैकों से जमकर वसूली कर रहे हैं तथा उनसे यह पूछने पर की किस नियम के तहत वसूली हो रही है तो उनके द्वारा रटा रटाया जवाब दिया जा रहा है की ऊपर से आदेश है आखिर यह आदेश देने वाला कौन है। यह अभी तक व्यापारियों के समझ में नहीं आया है।

हल्द्वानी मंडी के कई नामचीन आढ़तियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि उनके यहां पहाड़ के फल उत्पादक का माल नष्ट हो रहा है। लेकिन उसका खरीदार होते हुए भी माल नहीं खरीदा जा रहा है जिसका मुख्य कारण खरीददार द्वारा आगे की जाम की स्थिति बताई जा रही है

खरीदार द्वारा माल खरीदने के बाद रास्ते में ट्रैकों को आगे का रास्ता तय नहीं करने दिया जा रहा है जिससे ट्रक में लदा फल नष्ट होने लगा है सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस इस समय इस लाचारी का जमकर लाभ उठा रहे हैं। बिना वसूली के मैदानी क्षेत्र से आने वाला केला हफ्ते तक रास्ते में खड़ा होने की वजह से मंडी और इसके लिए बने चैंबरों तक नहीं पहुंच पा रहा है जिससे 4 लाख से अधिक कीमत का माल खराब होने का भय आढतीयो को सता रहा है।

इस संबंध में प्रदेश की धामी सरकार तब यह बात जाए और वह अधिकारियों को निर्देश दें कि मैदानी और पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले उपज जो की कच्चा माल होता है को गंतव्य स्थान तक जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता उपलब्ध कराया जाए यह वैकल्पिक रास्ते पुलिस और ट्रक चालक भली भांति जानते हैं लेकिन पुलिस की वसूली के आड़े यह रास्ते ना तो पुलिस को दिख रहे हैं और नहीं प्रशासन को।
इस संबंध में कोई कार्रवाई करता नजर आ रहा है। अगर इसी तरह से कावड़ के लिए की जा रही व्यवस्था के बीच वैकल्पिक मार्ग निकालने की अनुमति नहीं दी गई तो व्यापार प्रभावित होगा तथा पहाड़ के किसान कमर टूट जाएगी। वहीं मैदानी क्षेत्र से आने वाली उपज भी जाम की वजह से खराब हो जाएगी और लोगों को यहां फल तथा अन्य उत्पाद काफी महंगे दामों पर मिलेंगे साथ ही व्यापार भी प्रभावित होगा