Kali Yuga : ये होगी कलियुग के अंत की पहचान, ये देवता और चीजें धरती से हो जाएंगी विलुप्त

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पुराणों में कलियुग को लेकर वर्णन किया गया है। ऐसा कहा गया है कि कलियुग की आयु अन्य सभी युगों से कम होगी। ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक जब कलयुग के 10 हजार वर्ष बीत जाएंगे तो संसार में कई विचित्र घटनाए होंगी। जो कि संकेत होंगी इस बात का कि अब कलियुग का अंत नजदीक है।

कब होगा कलियुग का अंत और कौन करेगा ?

कलियुग के अंत के बारे में कई बातें पुराणों में कही गई हैं। कलियुग के प्रारंभ के बारे में कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के 35 साल के बाद श्री कृष्ण ने देह छोड़ दी थी। इसी को कलियुग का प्रारंभ माना जाता है। बात करें कलियुग के अंत की तो पुराणों के मुताबिक भागवान के कल्कि के अवतार के साथ ही कलियुग का अंत होगा। बता दें कि श्रीमद्भगवद्गीता पुराण के बारहवें स्कन्द में उल्लेख किया गया है कि भगवान का कल्कि अवतार कलयुग के अंत और सत्ययुग के संधि काल में होगा।

Brahma Vaivarta Purana
कलियुग का अंत

कहां होगा भगवान कल्कि (Kalki) का अवतार ?

श्रीमद्भगवद्गीता पुराण के श्लोक सम्भल ग्राम मुख्यस्य, ब्राह्मणस्य महात्मनः। भवने विष्णु यशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति में बताया गया है कि कल्कि भगवान का अवतार कब और कहां होगा। इस श्लोक के मुताबिक कल्कि अवतार का जन्म संभल गांव में विष्णुयशा नाम के एक ब्राह्मण परिवार में होगा। भगवान कल्कि के पिता भगवान विष्णु के भक्त होंगे। इसके साथ ही उनके पिता वेदों और पुराणों के ज्ञाता होंगे। श्लोक के मुताबिक भगवान कल्कि उनके घर जन्म लेंगे और पाप का अंत करेंगे।

Brahma Vaivarta Purana
कल्कि अवतार

ये होगी कलियुग के अंत की पहचान

ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक कलियुग में कुछ चीजें विलुप्त हो जाएंगी। जब कलियुग के पांच हजार साल बीत जाएंगे तो धरती से सबसे पहले गंगा गायब हो जाएगी। इसके बाद तुलसी और सरस्वती भी धीरे-धीरे धरती से विलुप्त होने लगेंगी। ये तीनों बैकुंठ धाम में चले जाएंगी। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जब ये तीनों देवियां धरती से वापस जाएंगी तो इनके साथ ही वृंदावन और काशी को छोड़कर बाकी सारे तीर्थ भी वापस बैकुंठ को चले जाएंगे।

Brahma Vaivarta Purana
ये होगी कलियुग के अंत की पहचान

ये देवता और चीजें धरती से हो जाएंगी विलुप्त

गंगा, तुलसी और सरस्वती के विलुप्त होने के बाद जब कलियुग के 10 हजार साल बीत जाएंगे तो शालिग्राम, श्री हरि की मूर्ति, पुरुषोत्तम भगवान जगन्नाथ भी धरती को छोड़कर अपने धाम को चले जाएंगे। इसी के साथ लोग पूजा-पाठ करना और उपवास करना भी बंद कर देंगे।