उत्तराखंड-सर्वे में राजधानी को बताया महिलाओं के लिए असुरक्षित, आयोग ने नकारा

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Doon में महिलाएं नहीं है सुरक्षित[1]

महिला सुरक्षा को लेकर जारी की गई एक संस्था के सर्वे ने राजधानी देहरादून की हकीकत उजागर कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून देश के 31 शहरों में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहरों की लिस्ट में शामिल है। ये सर्वे रिपोर्ट पी वैल्यू एनालिटिक्स (P Value Analytics) नाम की एक संस्था ने जारी की है। National Annual Report and Index 2025 (NARI 2025) के नाम से जारी इस रिपोर्ट ने देहरादून में महिला सुरक्षा को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। हालांकि महिला आयोग ने इस सर्वे रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है।

महिलाओं के लिए देहरादून असुरक्षित

Dehradun का नाम निचले दस शहरों में है। जो प्रशासन और पुलिस की तैयारियों पर सवाल खड़ा करता है। रिपोर्ट के अनुसार दून की सिर्फ आधी महिलाएं ही शहर को सुरक्षित मानती हैं, जबकि रात होते-होते यह भरोसा और भी कमज़ोर हो जाता है। दिन में 70% महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन रात में यह संख्या घटकर 44% पर आ जाती है। वहीं, 14% महिलाओं ने साफ कहा कि वे खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं।

देश के टॉप 10 असुरक्षित शहरों में देहरादून भी शामिल, महिलाएं नहीं सेफ
महिलाओं के लिए देहरादून असुरक्षित

बसों में करना पड़ता है उत्पीड़न का सामना

महिला-अनुकूल बुनियादी ढांचे को लेकर भी तस्वीर निराशाजनक है। केवल 24% महिलाओं ने इसे सुरक्षित माना, जबकि लगभग आधी महिलाएं इसके प्रति उदासीन रहीं। इसका सीधा मतलब है कि स्ट्रीट लाइटिंग, सीसीटीवी कैमरों और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन जैसी सुविधाएं अभी भी बड़ी कमी के साथ मौजूद हैं। चौंकाने वाली बात यह रही कि शहर की 50% महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

पुलिस की कार्रवाई पर नहीं भरोसा

रिपोर्ट के अनुसार कई महिलाओं ने बताया है कि वे घटना के बाद भी पुलिस तक नहीं पहुंची, क्योंकि उन्हें कार्रवाई पर भरोसा नहीं था। यही वजह है कि 40% पीड़िताओं ने शिकायत दर्ज तक नहीं कराई। रिपोर्ट में यह भी साफ लिखा गया है कि महिलाओं ने सुरक्षा को लेकर पुलिस की मौजूदगी और गश्त बढ़ाने की सबसे अधिक मांग की है। इसके बावजूद हालात यह दिखा रहे हैं कि पुलिस की मौजूदगी जमीनी स्तर पर महिलाओं के भरोसे में तब्दील नहीं हो पा रही है।

Dehrdun Police के दावों की खुली पोल

Dehrdun Police का दावा है कि वह महिला सुरक्षा को लेकर गश्ती दल (Patrolling group) और सत्यापन अभियान (Verification campaign) चला रही है, लेकिन रिपोर्ट के नतीजे पुलिस के इन दावों की पोल खोल रहे हैं। सवाल यह है कि जब महिलाएं आधिकारिक आंकड़ों में भी खुद को असुरक्षित बता रही हैं, तो पुलिस आखिर किस स्तर पर चूक कर रहे हैं।

महिला आयोग ने पल्ला झाड़ा

वहीं इस मामले में राज्य महिला आयोग ने कहा है कि महिला आयोग का इस रिपोर्ट से कोई लेना देना नहीं है। वहीं आयोग ने इस संस्था को सर्वे रिपोर्ट के साथ तलब करने का फैसला लिया है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने कहा है कि यह बहुत ही निंदापूर्ण है कि केवल 12770 महिलाओं के आधार पर 31 शहरों में महिला असुरक्षा की स्थिति को दर्शाया गया है, जिसे महिला आयोग नकारता है। कुसुम कंडवाल ने कहा है कि देहरादून की महिलाएं अच्छे से जानती हैं कि यहां महिला सुरक्षा को लेकर सरकार, शासन प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अत्यंत संवेदनशील हैं और महिलाओं व बेटियों के साथ किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाती है।

‘देहरादून की छवि धूमिल करने की कोशिश’

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस रिपोर्ट को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि महिला असुरक्षा के नाम पर देहरादून की छवि को धूमिल करना पूरी तरह गलत है। महिला सुरक्षा की एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स (एनएआरआइ) का महिला आयोग से कोई ताल्लुक नही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने कहा कि इस प्रकार के आंकड़ों के सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर देहरादून का नाम इस सूची में जोड़ा गया है उसकी रिपोर्ट आयोग तलब करेगा और इसमें आवश्यक कार्रवाई भी की जाएगी