राहुल की रैली में उमड़ी भीड़ ने भाजपा के माथे पर खींच दी चिंता की लकीरें ,अब हल्द्वानी रैली बनी भाजपा के लिए चुनौती!

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देहरादून एसकेटी डॉट कॉम

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16 दिसंबर को देहरादून में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की रैली में उमड़ी भीड़ भाजपा नेतृत्व के माथे पर चिंता की लकीरें की दी है। भाजपा इस रैली पर नजर बनाए हुए थी और जब उसे यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से ज्यादा भीड़ नजर आई तो उसके माथे पर परेशानी के बल पड़ गए। आला कमान नेतृत्व से यह सवाल भी कर सकता है की सरकार और संगठन में कांग्रेस से बेहतर होने के बावजूद कैसे व है प्रधानमंत्री की रैली में भीड़ नहीं जुटा पाई जिसकी उम्मीद केंद्रीय आलाकमान प्रदेश नेतृत्व से कर रहा था। माना यह जा रहा है कि ऊपरी तौर पर भाजपा में सब कुछ दे सही दिखने के बावजूद अंदर खाने खींचतान मची हुई है।

त्रिवेंद्र सिंह को सत्ता से हटाने के बाद जिस तरह से विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के बजाए सीधे गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह को प्रदेश की कमान सौंपी गई और उसके बाद सीधे जब कई वरिष्ठ विधायक मुख्यमंत्री की लाइन में लगे थे तो सबसे कम उम्र के पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंप देने के बाद अंदर खाने वरिष्ठ नेता नाराज नजर आ रहे हैं हालांकि पार्टी आलाकमान के फैसले के आगे सभी नतमस्तक बने हुए हैं लेकिन उनके दिलों की टीस अभी भी बनी हुई दिखाई दे रही है।

कांग्रेस की प्रधानमंत्री मोदी की रैली के ठीक 12 दिन बाद उसी स्थान पर हुई इस रैली में राजनीतिक पंडितों के अनुसार भाजपा से अधिक भीड़ जुटी है और आम आदमी पार्टी के कार्यक्रमों में भी सम्मानजनक भीड़ जुटने से इस बार सत्ता के परिवर्तन के संकेत भी मिलने लगे हैं वहीं भाजपा आलाकमान के नारों को दोहराते हुए नजर आ रही है कि इस बार 60 के पार । लेकिन विस्प्श्लेषकों का मानना है कि 60 के पार तो दूर सत्ता बचा पाना भी भाजपा के लिए मुश्किल बनता जा रहा है। महंगाई बेरोजगारी और रोजगार का मुख्य साधन गोला समेत कई नदियों का दिसंबर तक अच्छी तरह से खुलने पाना भी इस गुस्से को और अधिक बढ़ाता जा रहा है।

दिसंबर का दूसरा पखवाड़ा भी बीत चुका है वही आचार संहिता लगने में अब मुश्किल महीना भर का समय बचा हुआ है ऐसे में अगर सारी चीजें सही ढंग से मैंनेज नहीं की गई तो भाजपा के लिए उत्तराखंड में सत्ता रिपीट करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी हो सकता है।

जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैन्य धाम की घोषणा की उसी पिच पर कांग्रेस ने भी बैटिंग करते हुए उत्तराखंड के बलिदानी सैनिकों से बलिदान का अपना रिश्ता जोड़कर सैनिकों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया। कई पूर्व सैनिकों को भी मंच पर बुलाकर सम्मान भी दिया। इसके अलावा इंदिरा गांधी के नेतृत्व को आम लोगों के बीच 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के दो टुकड़े करने के सफलतम प्रयास को भी भुनाने का प्रयास किया जिसका असर लोगों में सांप दिखाई दिया इसके अलावा इस बार राहुल गांधी के भाषण को भी लोगों ने अंतिम समय तक सुना और उनके द्वारा देश के नागरिकों को मजबूत किए जाने के बातों का उल्लेख करने पर तथा छोटे तथा मध्यम वर्ग के उद्योगों को बढ़ावा देने के जिक्र का तालियां बजाकर स्वागत किया ।

वही देश के कुछ 2,3 चुनिंदा उद्योगपतियों की जेबों को गरीब लोगों की मेहनतकश कमाई से भरने की बातों से पेट्रोल समेत खाद्य पदार्थों की महंगाई का जिक्र करने से लोगों ने राहुल की बातों को हाथों हाथ लिया। एक तरह से राहुल की रैली सफल रैली मानी जा रही है अब प्रदेश भाजपा के आलाकमान के सामने सिर्फ एक ही चुनौती है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को राहुल की रैली से कैसे बड़ा करके दिखाएं कुमाऊं की इस रैली का आयोजन स्थल हल्द्वानी का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनाया गया है जहां आगामी 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे।