कुमाऊ मंडल में वित्तीय वर्ष के आखिरी एक महीने से कम समय ठिकाने लगेंगे 6 अरब ( देखे वीडियो)

उत्तराखंड में ऐसे होती है
सरकारी धन की बंदरबाँट ।
एक महीने से भी कम समय में खर्च करनी है राज्य योजना से 5 अरब, 54 करोड़, 59 लाख, 65 हजार।
केन्द्रीय योजनाओं से 84 करोड़, 56 लाख, 65 हजार
दोनों योजनाओं को मिलाकर खर्च करनी है 6 अरब, 39 करोड़, 16 लाख, 30 हजार रुपये की रकम ।
भिकियासैंण skt. com।
उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता तुला सिंह तड़ियाल ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि, उत्तराखंड में सरकारी धन की बंदरबाँट का जीता जागता उदाहरण है मौजूद बजट उन्होंने कहा, वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुमाऊँ मण्डल को वर्ष के अन्तिम चरण में राज्य योजना से 19 अरब, 89 करोड़, 79 लाख, 78 हजार रुपये आवंटित हुए थे जिसमें से अभी तक मात्र 14 अरब, 35 करोड़, 20 लाख, 13 हजार, रुपये खर्च किये गए हैं ।
अभी तक विभिन्न विभागों के खाते में इस मद के 5 अरब, 54 करोड़, 59 लाख, 65 हजार ऐसे ही पड़े हैं इसी प्रकार केन्द्र योजना से 13 अरब, 15 करोड़, 66 लाख, 35 हजार रुपये आवंटित हुए हैं जिसमें से अभी तक 12 अरब, 31 करोड़, नौ लाख, 70 हजार रुपये खर्च हुए हैं इस मद में भी अभी तक 84 करोड़ 56 लाख, 65 हजार रुपये शेष हैं जिन्हें वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन 31 मार्च 2025 तक खर्च किया जाना अनिवार्य है उक्त निर्धारित तिथि तक इस धनराशि को खर्च नहीं करने पर यह धनराशि स्वत: निरस्त हो जायेगी उन्होंने दावे के साथ कहा कि, धरातल पर उक्त धनराशि को एक महीने से भी कम समय में खर्च किया जाना सम्भव नहीं है और विभागीय अधिकारी इस धनराशि को वापस करना भी नहीं चाहेंगे ऐसे में अब इस धनराशि को महज कागजों में खुर्द बुर्ज कर भ्रष्ट नौकरशाहों और दलाल राजनेताओं की जेबें गरम की जायेंगी आज यही कारण है कि, यहाँ के राजनेता दिनों दिन मालामाल हो रहे हैं और प्रदेश कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है उन्होंने आगे कहा सरकार वित्तीय वर्ष के अंतिम चरण में ही धनराशि क्यों आवंटित करती है ?
इस गणित को समझना बहुत जरूरी है यह पैसा विकास कार्यों के लिए नहीं बल्कि पैसे की बंदरबाँट की सोची समझी योजना के तहत आवंटित की जाती है । उन्होंने आगे कहा उत्तराखंड में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि, बड़े बड़े फ्लाईओवर व पुल छ: महीने नही टिक पा रहे हैं सड़कें मानक के अनुसार नहीं बन रही हैं हाट मिक्स सड़कों का डामर बच्चे नाखून से खुरच दे रहे हैं यहाँ विकास के नाम पर खुली लूट मची हुई है भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को कानून का भय दिखाकर चुप करा दिया जाता है। यह उत्तराखंड जैसे नवोदित राज्य के लिए कदापि शुभ संकेत नही हो सकते।
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