कहीं आप भी तो अस्पाताल जाकर नहीं हो रहे बीमार ?, गंदा पानी पीने को मजबूर मरीज और तीमारदार

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दूषित पानी पीने से शरीर में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं इस बात को लेकर डॉक्टर समय-समय पर दिशा निर्देश और गाइडलाइन जारी करते रहे हैं लेकिन उसके बावजूद भी राज्य के अस्पताल इसका अनुपालन करने को तैयार नहीं है। अस्पतालों में लगी पानी की टंकियां में जमी गंदगी खुद अस्पतालों की हकीकत बयां कर रही है।

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कहीं आप भी तो अस्पाताल जाकर नहीं हो रहे बीमार ?
गंदा पानी पीने से बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा दूषित पानी से कुल्ला करना भी बीमारियों को निमंत्रण देने के बराबर है। डॉक्टर कहते हैं कि इससे दांत संबधित बीमारी हो सकती है। इसके अलावा दूषित पानी में मौजूद बैक्टीरिया आपके पेट में भी जा सकता है और ये जानलेवा भी साबित हो सकता है।

डॉक्टर भले ही इन तमाम बातें कर रहे हैं लेकिन राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल को उदाहरण के रूप में देखा जाए तो सबसे ज्यादा गंदगी यहीं पर दिखाई देगी। यहां जून में लगी पानी की टंकी यूं तो जुलाई 2021 में साफ की गई थी। जिसे वार्षिक तौर पर भी दर्शाया भी गया है लेकिन दो साल से अधिक का समय भी जाने के बाद भी टंकी को झांक कर भी नहीं देखा गया है।

गंदा पानी पीने को मजबूर मरीज और तीमारदार
जहां एक ओर डॉक्टर बताते हैं कि दूषित पानी पीने से शरीर में कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। तो वहीं बिमारियों का इलाज करने के लिए अस्पताल में आने वाले मरीज गंदा पानी पीने के कारण और भी ज्यादा बीमार हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि ये राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के हाल हैं। इस से अंदाजा लगाया ही जा सकता है कि प्रदेश और अस्पतालों के हाल क्या होंगे। इलाज कराने अस्पताल पहुंचने लोग और मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि वो इसे पीने को मजबूर हैं। इसके साथ ही वो कहते हैं कि पानी बोतल में तो साफ ही दिखाई दे रहा है।

टंकियों की कराई जाती है सफाई – डायरेक्टर हेल्थ एजुकेशन
अस्पताल में पानी की टंकियों के साफ ना होने की बात को लेकक डायरेक्टर हेल्थ एजुकेशन आशुतोष सयाना इस पर अलग ही तर्क दे रहे हैं। उनका कहना है कि पानी की टंकियां समय-समय पर साफ कराई जाती हैं। जहां पर भी पानी में समस्या आती है उसका तुरंत संज्ञान भी लिया जा रहा है।

उनका ये बयान और धरातल की हकीकत दोनों में कोई समानता नहीं है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पानी के टैंक के हाल बद से भी बत्तर हैं। जिसकी हकीकत को अधिकारी स्वीकारना ही नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि टंकियां पर सफाई की तिथि भी अंकित की गई है जिससे इस बात का भी पता लग सकेगी वॉटर टैंक की सफाई कब हुई है।