एक शराब की बोतल पर कितना कमाती है सरकार? आंकड़ा जान कहीं उतर न जाए नशा!

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क्या आप जानते हैं कि आपकी खरीदी गई शराब की एक बोतल का एक बड़ा हिस्सा सीधे सरकार के खजाने में जाता है? राज्यों के कुल राजस्व का 15 से 30 फीसदी हिस्सा आबकारी कर से आता है. ₹1000 की बोतल पर आप भारी-भरकम टैक्स चुकाते हैं.

एक शराब की बोतल पर कितना कमाती है सरकार? आंकड़ा जान कहीं उतर न जाए नशा!
शराब की एक बोतल से कितना कमाती है सरकार

देश में टैक्स वसूली का एक ऐसा जाल बिछा हुआ है कि सड़क पर चलने से लेकर खाने तक, हर चीज़ पर आप सरकार के खजाने में कुछ न कुछ योगदान दे रहे हैं. और अगर आप कभी-कभार शराब का सेवन करते हैं, तो समझिए आप देश की अर्थव्यवस्था को चलाने वाले सबसे ज़रूरी स्तंभों में से एक हैं. दरअसल, राज्यों की सरकारें ‘आबकारी कर’ (Excise Duty) के नाम पर शराब की बिक्री से जो राजस्व वसूलती हैं, वह उनके लिए किसी खजाने से कम नहीं है.

कई राज्यों के कुल राजस्व का एक बहुत बड़ा हिस्सा, लगभग 15% से 30% तक, केवल शराब की बिक्री से आता है. यही वो बड़ी वजह है कि कोई भी राज्य सरकार, शराबबंदी जैसे बड़े और आर्थिक रूप से जोखिम भरे फैसले लेने से पहले सौ बार सोचती है. कुछ चुनिंदा राज्यों को छोड़ दें, तो बाकी जगह शराब पर इतना भारी-भरकम टैक्स वसूला जाता है कि राज्य का खजाना हर साल भर जाता है. क्या आप जानते हैं कि एक बोतल शराब पर टैक्स कितना लगता है और आपकी खरीदी हुई हर बोतल से सरकार की जेब में कितनी कमाई होती है? आइए, आज इस गणित को समझते हैं.

शराब से भर रहा राज्य सरकारों का खजाना

शराब की बिक्री किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक मुख्य आधार की तरह होती है. अगर हम आंकड़ों पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि आबकारी शुल्क (Excise Duty) संग्रह के मामले में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा जैसे राज्य सबसे आगे हैं. इन राज्यों में शराब पर लगने वाले टैक्स से होने वाली कमाई बहुत ज़्यादा है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में, देश की सरकारों ने आबकारी शुल्क से लगभग 1 लाख 75 हज़ार करोड़ रुपये की रिकॉर्ड-तोड़ कमाई की थी. इन राज्यों में, उत्तर प्रदेश अपनी आबकारी नीति के दम पर सबसे आगे निकल गया है. वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार ने केवल एक्साइज ड्यूटी से 41,250 करोड़ रुपये का विशाल राजस्व एकत्र किया था. उत्तर प्रदेश को 2024-25 में आबकारी से ₹52,574.52 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है. वित्त वर्ष 2024-25 में दिल्ली सरकार का आबकारी राजस्व बढ़कर लगभग ₹7,766 करोड़ रुपये हो गया. .

आख़िर एक बोतल पर कितना टैक्स चुकाते हैं आप?

शराब की बिक्री पर लगने वाले आबकारी शुल्क से सरकारों की बंपर कमाई होती है. लेकिन, एक आम आदमी के मन में सवाल आता है कि जब वह 1000 रुपये की एक बोतल खरीदता है, तो उसमें से सरकार की झोली में कितना पैसा जाता है?

इसका सीधा-सा जवाब है कि हर राज्य की सरकार अलग-अलग टैक्स दरें वसूलती है. यही कारण है कि एक ही ब्रांड की शराब आपको कुछ राज्यों में सस्ती मिल सकती है, जबकि कुछ अन्य राज्यों में वह महंगी बिकती है. टैक्स की दरें राज्य के नीति-निर्माताओं द्वारा तय की जाती हैं. इसके अलावा, एक्साइज ड्यूटी के साथ-साथ शराब पर कई अन्य शुल्क भी लगते हैं, जैसे कि स्पेशल सेस (उपकर), ट्रांसपोर्ट फीस, लेबलिंग और रजिस्ट्रेशन चार्ज आदि. इन सभी शुल्कों को मिलाकर, शराब की अंतिम कीमत तय होती है, जिसका भार सीधे ग्राहक पर पड़ता है.

मान लीजिए कि आप बाज़ार से 1000 रुपये की शराब की एक बोतल खरीदते हैं. तो इस एक हज़ार रुपये में से सरकार के खाते में कितनी रकम जाती है? दरअसल, ग्राहकों द्वारा चुकाए गए मूल्य का एक बड़ा हिस्सा, औसतन 35% से 50% या इससे भी अधिक, टैक्स के रूप में सरकार के खजाने में जाता है. इसे एक उदाहरण से समझते हैं. यदि आप ₹1000 की शराब की बोतल खरीदते हैं. तो इसमें से लगभग ₹350 से ₹500 तक या उससे भी ज़्यादा सीधे तौर पर राज्य सरकार को टैक्स के रूप में मिलता है.