High Court : नौकरीपेशा महिलाओं के हक में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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HC Decision : आजकल महिलाएं नौकरी के मामले में भी पुरुषों से पीछे नहीं हैं। हालांकि, इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने नौकरी करने वाली महिलाओं के हक (women’s rights in law) में बड़ा फैसला सुनाया है। इसकी चारों ओर चर्चाएं हैं, कोर्ट ने अपने फैसले में महिलाओं को राहत देते हुए अहम टिप्पणी भी की है। आइये जानते हैं कोर्ट के इस फैसले को।

Delhi High Court : नौकरीपेशा महिलाओं के हक में दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Breaking News (Delhi News)। बहुत सी महिलाएं घर के काम काज को संभालने के साथ ही नौकरी भी करती हैं। ऐसे में उनकी दिनभर की भागदौड़ बढ़ जाती है। ऐसी महिलाओं के हक में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HC decision) ने अहम फैसला सुनाया है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पति पत्नी की जिम्मेदारियों को भी बताया है। कोर्ट के इस फैसले से महिलाओं के अधिकारों को और अधिक मजबूती मिली है। 


पति इस स्थिति में भी देगा गुजारा भत्ता


बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी माता पिता (parents rights for children) पर साझे रूप से होती है। लेकिन मां ही बच्चों की अधिक परवरिश करती है। अक्सर बच्चों की देखभाल (child care rights) माता पिता की नौकरी को भी प्रभावित करती है।

कई बार यह भी देखा जाता है कि मां नौकरीपेशा है तो उसके नौकरी पर चले जाने के बाद बच्चों को संभालने वाला कोई नहीं होता। ऐसे ही एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला (HC decision for working women) सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि नाबालिग बच्चे की देखभाल के लिए पत्नी नौकरी छोड़ती है तो पति को गुजारा भत्ता देना होगा। 


दिल्ली हाईकोर्ट ने की यह टिप्पणी 


दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high court) में एक युवक ने नौकरीपेशा पत्नी के खिलाफ याचिका लगाई थी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि नाबालिग बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी समान रूप से माता-पिता की ही है।

खासकर जब परिवार में बच्चे की देखभाल करने वाला कोई और न हो तो पति पत्नी की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court’s decision for working women) ने कहा ऐसे में इस मामले में प्रतिवादी पत्नी द्वारा नाबालिग बच्चे की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ने को स्वैच्छिक निर्णय लेते हुए काम छोड़ने के रूप में नहीं माना जा सकता। इसे बच्चे की देखभाल के लिए कर्तव्य निभाने के रूप में देखा जा सकता है। 

पति ने यह लगाई थी याचिका


एक पति ने हाईकोर्ट (high court news) में याचिका दायर करते हुए कहा था कि फैमिली कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश में संशोधन किया जाए। फैमिली कोर्ट ने युवक को पत्नी को गुजारा भत्ता (alimony rights) देने को कहा था।

युवक ने यह भी कहा था कि उसकी पत्नी  ट्यूशन व टीचिंग से हर महीने करीब 40 हजार रुपये कमाती थी। उसने नौकरी छोड़ दी है और अब गुजारा भत्ते की मांग कर रही है। 


पत्नी ने दिया यह तर्क


इस मामले में फैमिली कोर्ट (family court) के आदेश में संशोधन की मांग करने वाले युवक की पत्नी ने दावा किया कि वह नाबालिग बेटे की देखभाल न हो पाने के कारण नौकरी करने में दिक्कत पेश आ रही है। नौकरी भी घर से दूर है। इस कारण बेटे की देखभाल के लिए नौकरी छोड़नी पड़ी।


महिला की बात को कोर्ट ने दिया महत्व


हाईकोर्ट ने इस मामले में महिला (women’s rights) की बात को महत्व  दिया है। कोर्ट ने कहा कि पति से संबंध समाप्त होने पर पत्नी अपने नाबालिग बच्चों की देखभाल के लिए अपना रोजगार छोड़ती है तो उसकी बात को उचित महत्व दिया जाना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट (delhi high Court decision) ने कहा बेशक महिला शिक्षित और नौकरी करने के योग्य है लेकिन बच्चे की देखभाल उसकी वाजिब मजबूरी है। ऐसे में पति पत्नी को गुजारा भत्ता दे।