₹12000 करोड़ की दौलत का उत्तराधिकारी, दिवाली गिफ्ट में कभी कार तो कभी फ्लैट बांटते वाले का बेटा ₹180 की दिहाड़ी करने पर मजबूर, वजह जानकर तारीफों के बांधेंगे पुल

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  अगर बैंक खाते में 6000 करोड़ रुपये की अथाह दौलत रखी हो तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो होटल में टेबल साफ करने से लेकर सामान बेचने की नौकरी करेगा. हो आप भरोसा नहीं कर पाएंगे, लेकिन ये बिल्कुल सही है.

Surat Diamond King Savji Dholakia:  अगर बैंक खाते में 6000 करोड़ रुपये की अथाह दौलत रखी हो तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो होटल में टेबल साफ करने से लेकर सामान बेचने की नौकरी करेगा. हो आप भरोसा नहीं कर पाएंगे, लेकिन ये बिल्कुल सही है. सूरत के डायमंड किंग के नाम से मशहूर सावजी ढोलकिया जो हर साल अपने दीवाली तोहफे के लिए चर्चा में रहते हैं अपनी सीख को लेकर भी चर्चा में हैं. 

अपनी कंपनी के कर्मचारियों को दीवाली में कभी कार तो कभी फ्लैट गिफ्ट

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 अपनी कंपनी के कर्मचारियों को दीवाली में कभी कार तो कभी फ्लैट गिफ्ट

 अपनी कंपनी के कर्मचारियों को दीवाली में कभी कार तो कभी फ्लैट गिफ्ट करने वाले सावजी ढोलकिया सूरत के जानेमाने कारोबारियों में से एक है. हीरे का व्यापार करने वाले सावजी ढोलकिया धनजी हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर और चेयरमैन हैं. उनकी संपत्ति 12000 करोड़ से अधिक है, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को सेल्समैन और वेटर की नौकरी करवाई. 

अरबपति का बेटे और वेटर की नौकरी

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 अरबपति का बेटे और वेटर की नौकरी

   साल 1962 को गुजरात के अमरेली जिले के दुधला गांव में किसान परिवार में जन्में सावजी ढोलकिया ने चौथी क्लास तक ही पढ़ाई की. मुश्किलों का सामना करते हुए उन्होंने साल 1992 में अपने तीनों भाईयों के साथ मिलकर हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरूआत की. आज उनकी कंपनी में 6500 से अधिक कर्मचारी है. खास बात ये कि वो हर साल दीवाली के मौके पर अपने खास तोहफे के लिए चर्चा में रहते हैं. KISNA ज्वैलर्स के मालिक सावजी ढोलकिया ने अपने चारों बच्चों को आम आदमी की जिदंगी जीना सिखाया है. 

बेटे को वेटर की नौकरी कराई

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बेटे को वेटर की नौकरी कराई

बच्चों को पैसों का मोल सिखाने के लिए सावजी ढोलकिया ने एक अलग परपंरा की शुरुआत की. उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया, लिखाया, लेकिन उन्हें जिंदगी का असली मोल सिखाने के लिए आम लोगों वाली जिंदगी जीने की शर्त रखी. उन्होंने अपने बेटे द्रव्य ढोलकिया तो वेटर और सेल्समैन की नौकरी के लिए भेज दिया. लंदन से डिग्री हासिल करने के बाद जब वो स्वदेश लौटे तो उन्होंने अपने बेटे को अपनी कंपनी में नौकरी देने के बजाए वेटर और सेल्स मैन की नौकरी करने को कहा.  

180 रुपये की सैलरी पर की नौकरी

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180 रुपये की सैलरी पर की नौकरी

द्रव्य ढोलकिया ने कभी जूते की दुकान तो कभी मैकडॉनल्ड्स के आउटलेट पर काम किया. पिता ने शर्त रखी थी कि महीने में चार नौकरी बदलनी है. करोड़ों की दौलत का उत्तराधिकारी सड़क पर रहने को मजबूर था, लोगों के सामने काम मांगने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ रहा था. 

40 रुपये का खाना भी अफोर्ड करने की हौसियत नहीं

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40 रुपये का खाना भी अफोर्ड करने की हौसियत नहीं

 रोज की दिहाड़ी 180 रुपये जुटाने में उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. किसी से खाने के लिए पैसे मांगने पड़ते थे. हालात ऐसी हो गई थी कि द्रव्य ढोलकिया के पास 40 रुपये का खाना भी अफोर्ड करने की हौसियत नहीं थी.  

क्यों लिया ये फैसला

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 क्यों लिया ये फैसला

सावजी ढोलकिया चाहते है कि उनके बच्चे पैसों का असली मोल समझे. पैसों की अहमियत को जाने, इसलिए वो उन्हें आम लोगों की जिदंगी जीने की सीख देने के मकसद से ऐसा करते हैं.  सावजी धनजी की कुल संपत्ति 12000 करोड़ रुपये आंकी गई है. आज उनके बेटे पिता की कंपनी में हाथ बंटा रहे हैं.