@haldwani विधायक सुमित ने विधानसभा अध्यक्ष पर बोला हमला, निष्पक्ष के बजाय सरकार के प्रवक्ता की तरह कर रही हैं वर्ताव (देखिये वीडियो )

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हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम

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हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि विधान सभा अध्यक्ष निष्पक्ष एवं विधायकों के संरक्षक के तौर पर कार्य करने में सफल नहीं हो पा रही हैं. वह सरकार के प्रवक्ता के तौर पर कार्य करती दिख रही हैं. विद्यायको के विशेषा धिकार हनन के सवाल पर कोई कार्यवाही नहीं होने से सवाल उठने लाजमी हैं

उन्होंने कहा उन्होंने भी अपना विशेषाधिकार का मामला भी रखा था लेकिन बड़ा मुद्दा जसपुर के दो बार के विधायक आदेश चौहान के विशेषाधिकार का मामला बड़ा गंभीर था जिस पर न तो सरकार ने और नहीं विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कोई ठोस निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि सुदखोरो ने विधायक के साथ काफी अभद्रता की तथा उनके घर पर आकर उनके साथ बदसलूकी की. सरकार की ओर से इस मामले पर कार्रवाई होने के बजाय सरकार के इशारे पर एसएसपी ने 6 घंटे के अंदर उनके गनर को वापस ले लिया. जो कि निश्चित रूप से सरकार की मंशा को जाहिर करता है.

सुमित हृदेश ने यह भी कहा कि हल्द्वानी के लिए घोषित की गई रिंग रोड धरातल पर नहीं आ सकी. अमृत योजना के तहत जिस तरह से हल्द्वानी जगह-जगह खुदी और उसके बाद जगह-जगह तालाब बन गए अब हम लोगों के घरों में पानी घुस गया उसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

उन्होंने कहा कि संकुल जिस तरह से चला गया उससे ऐसा लगा कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के संरक्षक के बजाय सरकार के प्रवक्ता के तौर पर ज्यादा कार्य कर रही है संसदीय कार्य मंत्री और भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान द्वारा जब कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष में सभी विधायकों के निलंबन को वापस लेने का अनुरोध किया तो विधानसभा अध्यक्ष ने हठधर्मिता दिखाते हुए उनके अनुरोध को भी नकार दिया जबकि नियमानुसार निलंबन तक किया जा सकता है जब संसदीय कार्य मंत्री इस तरह का कोई प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष को दें.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सदन में रस्म अदायगी के तौर पर सामने आते हैं उनके विभागों से संबंधित सवालों पर उन्होंने कभी भी जवाब नहीं दिया. वह सरकार उन कामों की प्रशंसा करते हैं जो वास्तव में हुए हैं उसके लिए वह उनका धन्यवाद भी ज्ञापित करते हैं. सरकार इतनी और संवेदनशील हो गई है कि जब वह साड़ियों के लिए पुरानी पेंशन लागू करने का मुद्दा रख रहे थे और उन्होंने उस दौरान उस पत्र का उल्लेख किया जब यूपी के सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से आग्रह किया था कि वह पुरानी पेंशन को लागू करें और यह कर्मचारियों के हित में है लेकिन इस पूरे मामले को सदन की कार्रवाई से हटा दिया गया. जिससे यह लगता है कि सरकार जन मुद्दों और जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों को कोई भी तवज्जो नहीं देना चाहती है.