सरकार की शराब नीति -हर गांव, गरीब को परोसने की तैयारी पर लोगो में आक्रोश, लामाचौड़ में आंदोलन की सुबुगाहट

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हल्द्वानी skt. com

सरकार की शराब नीति एक बार फिर सुर्खियों मे है।ग्रामीण क्षेत्रों में शराब के एक लाइसेंस धारी को एक अन्य दुकान खोलने की अनुमति की नीति का लोग विरोध करने पर उतारू हैं ।

सरकार जहां बेरोजगारों की फौज को रोजगार देने में नाकाम साबित हो रही है वही वह शराब की दुकान खोलकर हर गांव हर गरीब तक शराब पहुंचाने के अपने मुहिम में जुटती हुई दिख रही है ।

शराब की इस नीति के कारण जहां सरकार को राजस्व मिलेगा वहीं नहीं और युवा पीढ़ी को घर के पास ही शराब उपलब्ध हो जाएगी जिससे वह शराब का आदी जाएगा। नई शराब नीति के तहत एक लाइसेंस धारी को उसी लाइसेंस पर दूसरी दुकान खोलने की अनुमति दी जा रहीहै।

नई शराब नीति के तहत लाइसेंस धारी इस दुकान को 5 किलोमीटर के अंदर कहीं पर भी खोल सकता है। इस नीति से जहां सरकार को तो राजस्व मिल जाएगा लेकिन लोगों के लिए यह परेशानी का सबक भी बन जाएगा ।

लामाचौर क्षेत्र में ब्लॉक और कटघरिया क्षेत्र के लाइसेंस धारी के द्वारा दुकान खोलने के बारे में सूचना मिलने पर लोगों में आक्रोश देखा गया है। कई लोगों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि लामाचौड़ का इलाका शांत इलाका है तथा यहां पर बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट शिक्षा देने का काम कर रहे हैं तथा पहाड़ तथा मैदानी क्षेत्र से कई बच्चे यहां पर शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं इन बच्चों को अगर अपने अगल-बगल शराब की ही दुकान दिखेगी तो निश्चित रूप से उन पर यह गलत असर पड़ेगा

लामाचौड क्षेत्र में आम्रपाली यूनिवर्सिटी, एमआईंआईटी, आडर्न पब्लिक स्कूल ,स्वतत्यनन पब्लिक स्कूल, केवीएम व्हाइटहॉल पब्लिक स्कूल, तथा निमोनीक पब्लिक स्कूल सिंथिया इंटरनेशन, गुरुकुल स्कूल समेत कई संस्थाएं हैं जहां पर 10000 से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं इसके अलावा कई सरकारी स्कूल भी क्षेत्र में है

इन सभी स्कूलों के बच्चों का लामाचौड़ क्षेत्र के चौराहे से फतेहपुर और कामलुवागांजा के आसपास हमेशा आना-जाना रहता है अगर यहां पर शराब की दुकान खुली तो निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र को ग्रहण लगने में भी देर नहीं लगेगी।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सरकार को अगर राजस्व प्राप्त करना है तो ग्रामीण क्षेत्र के विकास तथा किसानों के आय उत्पादन संबंधी उपक्रम लगाए जाने चाहिए यहां पर कृषि और बागवानी संबंधी प्रोजेक्ट लगाने चाहिए ना कि शराब की दुकानें खोली जानी चाहिए।

एक और सरकार नशा मुक्ति का नारा देती है वही वह नशे को हर गरीब और ग्रामीण को परोसने की तैयारी भी कर रही है ताकि युवा नशे गिरफ्त में आ जाए और सरकार अपने मुनाफा के लिए देश के युवा पीढ़ी को नशे में झौंक दे।

सूत्रों के अनुसार यह भी सूचना आ रही है कि अगर लामाचौड़ ,कमलुवागांजा तथा फतेहपुर क्षेत्र में शराब की दुकान खोलने का प्रयास किया गया तो लोगों को एक बार फिर चुनाव से पहले आंदोलन शुरू करना पड़ेगा