AI के जरिए आवाज बदलकर हो रहा फ्रॉड, Voice Cloning Fraud से खुद को ऐसे बचाएं
Voice Cloning Fraud तकनीकी विकास के साथ-साथ साईबर ठग लगातार ठगी के नए रास्ते खोज रहे हैं। मौजूदा दौर में विख्यात हो रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक भी इससे अछूती नही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा साइबर ठगी के दो माध्यम इन दिनों प्रचलित हैं। जिसमें डीपफेक और वॉयस क्लोनिंग शामिल है।
हरिद्वार के शहर कोतवाली क्षेत्र से कुछ महीने पहले एक ऐसा ही मामला सामने आया था। ब्रह्मपुरी बस्ती निवासी लक्ष्मी प्रसाद जोशी द्वारा कोतवाली नगर हरिद्वार में तहरीर में बताया था कि उनके मोबाइल में एक अंजान नंबर से कॉल आया। जिसमें अज्ञात कॉलर द्वारा खुद का परिचय उसके भांजे के रुप में देकर इमरजेंसी बताते हुए पीड़ित से करीब पौने दो लाख रुपये ट्रांस्फर करवा लिए। अज्ञात कॉलर की आवाज भांजे से इस कदर मिलती-जुलती थी कि पीड़ित को बिल्कुल भी शक नही हुआ। पीड़िता को ठगी का पता तब चला जब पीड़ित ने अपने भांजे के मोबाइल नंबर पर कॉल कर बात की।
क्या होता है Voice Cloning ?
कृत्रिम बुद्धिमता का उपयोग कर किसी शख्स की आवाज एवं बातचीत करने के तरीके की कॉपी करना Voice Cloning कहलाता है। ये कॉपी इतनी सटीक होती है कि इसे पहचान पाना लगभग असंभव है।
Voice Cloning Fraud से खुद को कैसे बचाएं ?
अंजान नम्बर से आयी साधारण कॉल या व्हाट्सऐप कॉल का कभी भी भरोसा न करें। अगर ऐसे किसी संदिग्ध नंबर से बातचीत कर कॉलर खुद को आपका परिचित या रिश्तेदार बताकर पैसों की मांग करता है तो सावधान हो जाएं।
मामले की तस्दीक करने के लिए आपके पास मौजूद अपने रिश्तेदार के नंबर पर कॉल कर सुनिश्चित करें कि कहीं आप वॉयस क्लोनिंग ठग गिरोह के निशाने पर तो नहीं हैं। इसके साथ ही साईबर ठगी का शिकार होने पर तत्काल टोल फ्री नंबर 1930 पर घटना की सूचना दें।
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