फौजी के बच्चे को नहीं मिला इलाज, हुई मृत्यु, फौजी पिता ने कही ये बात, स्वास्थ्य के नाम पर …….,देखे वीडियो

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सिलबट्टे के हमले से घायल बच्चे की उपचार के दौरान मौत, पुलिस ने बढ़ाई हत्यारन पड़ोसन की धाराएं

सरहद पर खड़ा एक सैनिक, जो देश की रक्षा करता है, अपने ही बेटे की सांसें सिस्टम की लापरवाही से नहीं बचा सका। सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की वह बेरुख़ी, जो एक अस्पताल से दूसरे तक ‘रेफ़र’ का खेल खेलती रही। इस खेल में फौजी के डेढ़ साल के शुभांशु की ज़िंदगी हार गई।

फौजी के बच्चे को नहीं मिला इलाज

गढ़वाल के सुदूर चमोली जिले के चिड़ंगा गांव का रहने वाला और फिलहाल जम्मू-कश्मीर में तैनात सैनिक दिनेश चंद्र 10 जुलाई की उस रात को शायद कभी भूल नहीं पाएगा। दोपहर बाद अचानक उनके बेटे सुधांशु की तबीयत बिगड़ी। आनन-फानन में बच्चे को ग्वालदम अस्पताल ले गए। वहां से चिकित्सकों ने मासूम को हायर सेंटर रेफर कर दिया। जिसके बाद बच्चे को कुमाऊं मंडल के बैजनाथ अस्पताल ले जाया गया। यहां से बागेश्वर तक रेफ़र का खेल चलता रहा। सभी अस्पतालों से जवाब मिला यहां नहीं हो पाएगा।

video link- https://youtu.be/aIgjfKWvb2I?si=iOFLsqIyJcr9dTon

‘रेफ़र’ के खेल ने ली बच्चे की जान

शाम को शुभांशु को बागेश्वर जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने बच्चे की हालत गंभीर बताई और फिर हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया। परिवार की आंखों के सामने उम्मीद की आखिरी किरणें भी धुंधली हो रही थीं। बागेश्वर में परिजनों ने 108 पर कॉल किया। फोन उठाया गया, भरोसा दिलाया गया। लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। एक घंटा बीत गया शुभांशु हर पल अपनी जिंदगी के लिए लड़ रहा था। मजबूर होकर दिनेश ने बागेश्वर के जिलाधिकारी को फोन लगाया। डीएम ने तुरंत मदद के आदेश दिए। रात साढ़े नौ बजे एंबुलेंस पहुंची लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

जवान ने किया भावुक वीडियो पोस्ट कर सिस्टम पर उठाए सवाल

अल्मोड़ा से हल्द्वानी ले जाते वक्त शुभांशु ने अपनी आखिरी सांस ली। बेटे का अंतिम संस्कार करने के बाद दिनेश चंद्र ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया। जिसमें उन्होंने कहा सरकारें बड़े वादे करती हैं। मगर सच ये है कि एक एंबुलेंस समय पर नहीं मिलती। अगर समय पर इलाज मिलता, तो शायद आज मेरा शुभांशु जिंदा होता। दिनेश ने बागेश्वर अस्पताल पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि आपातकालीन विभाग में तैनात डॉक्टर से एंबुलेंस की देरी पर जवाब मांगने पर उन्हें टाल दिया गया, यहां तक कि उन्हें अभद्रता भी झेलनी पड़ी।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला

मामले को लेकर बागेश्वर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. तपन कुमार शर्मा ने कहा कि आधे घंटे में 108 एंबुलेंस नहीं आती, तो अपनी एंबुलेंस भेजी जाती है। सवाल ये है कि उस दिन ऐसा क्यों नहीं हुआ? वहीं सीएमओ डॉ. कुमार आदित्य तिवारी ने कहा कि जवान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। शिकायत पत्र मिलने पर जांच की जाएगी। 108 सेवा प्रभारी को नोटिस दिया गया है

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