आगामी विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग करेगा नई ईवीएम मशीन का इस्तेमाल,पढ़े खबर, जाने मशीन की खासियत
राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चुनाव आयोग लगा हुआ है और जहां पर चुनाव आयोग चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है वहीं पर सभी राजनीतिक दल भी अपने कुनबे को बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं और जहां राजनीति दल चुनावी चालें चल रहे हैं। रणनीति बनाने में जुटे हैं। चुनाव आयोग ने भी तैयारियों में जुट गया है। उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में इस बार अत्याधुनिक और पहले से अधिक सुरक्षित एम-3 ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। मशीनें देहरादून में पहुंच चुकी हैं।विधानसभा चुनाव के लिए 18,400 बैलेट यूनिट 17,100 कंट्रोल यूनिट और 18,400 वीवीपैट पहुंच चुकी हैं। इस बार के चुनाव में जिन EVM का इस्तेमाल होगा, वो ईवीएम की थर्ड जेनरेशन यानी एम-3 (M-3) होगी। इनका इस्तेमाल चुनाव प्रक्रिया से पूरी तरह से बाहरमें किया गया था।EVM के पहले वर्जन M-1 को चुनाव प्रक्रिया से पूरी तरह से बाहर किया जा चुका है।
इसके बाद 2006 से 2010 के बीच बनी ईवीएम की दूसरी जेनरेशन एम-2 से पिछले विधानसभा चुनाव हुए थे। एम-2 में कुल 64 उम्मीदवारों की वोटिंग की जानकारी दर्ज की जा सकती थी।एक बैलेटिंग यूनिट में 16 उम्मीदवार होते हैं। इससे ज्यादा उम्मीदवार होते हैं तो दूसरी यूनिट जोड़ दी जाती है। एम-2 से अधिकतम चार यूनिट यानी 64 उम्मीदवारों को ही जोड़ा सकता था। 2013 के बाद EVM की तीसरी जेनरेशन M-3 आई। इसमें 384 उम्मीदवारों की जानकारी जोड़ी जा सकती है। यानी एक साथ 24 बैलेटिंग यूनिटों को इससे जोड़ा जा सकता है।इसमें खुद की जांच करने का फीचर है। यानी यह मशीन खुद जांच करके बता देती है कि उसे सभी फंक्शन ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। कोई भी दिक्कत होगी तो कंट्रोल यूनिट की स्क्रीन पर दिखेगी। इसमें डिजिटल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अगर कोई बाहर की मशीन या डिवाइस लगाने की कोशिश होगी तो यह पूरा सिस्टम बंद हो जाएगा।यह टैंपर्ड प्रूफ प्रक्रिया पर काम करती है। अगर मशीन से छेड़छाड़ की गई या किसी बटन को बार-बार दबाया गया तो वह सिग्नल दे देती है। मशीन को खोलने की कोशिश करोगे तो यह बंद हो जाती है। इसमें चिप को एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। इसके सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ नहीं सकते। इसे इंटरनेट या दूसरे नेटवर्क से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
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