U.C.C लागू होने से अधिवक्ताओं के हित प्रभावित,हाईकोर्ट अधिवक्ता एवम नारी शक्ति एवम बाल विकाश जन जागृति समिति रामनगर के उपाध्यक्ष मनु अग्रवाल ने जताई चिंता
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उत्तराखण्ड में लागू यू.सी.सी.में विवाह पंजीकरण, उत्तराधिकार अधिनियम और वसीयत का पंजीकरण आदि की प्रक्रिया में किये गये बदलाव और समस्त प्रक्रिया को ऑनलाईन करने से प्रदेशभर के अधिवक्ताओं के हित प्रभावित हो रहे हैं। अधिवक्ताओं ने हित प्रभावित होने से बचने के लिए समस्या का समाधान निकालने की मांग की है।
उत्तराखंड में 27 जनवरी से यूनिफार्म सिविल कोड(यू.सी.सी.)लागू होने के बाद से ही ये देश का पहला राज्य बन गया है। यू.सी.सी.के नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रदेशभर में कवायद और ट्रेनिंग चल रही है। वहीं इसमें कई प्रावधान ऑनलाइन होने और विवाह पंजीकरण, उत्तराधिकार अधिनियम और वसीयत पंजीकरण जैसे नियमों से अधिवक्ताओं की अवयश्यक्ता बहुत कम होने के डर से हाईकोर्ट व परामर्श फर्म वरिष्ठ अधिवक्ता मनु अगरवाल चिंता जताई है।
हाईकोर्ट अधिवक्ता मनु अगरवाल ने बताया है कि राज्य सरकार ने यू.सी.सी.लागू कर विवाह पंजीकरण, उत्तराधिकार अधिनियम एवं वसीयत का पंजीकरण करने की प्रक्रिया में बदलाव और समस्त प्रक्रिया ऑनलाईन कर दी है। इससे, पूरे प्रदेश के अधिवक्ता प्रभावित हो रहे है, साथ ही इसमें कई खामियां होने से भविष्य में आम जनता को भी कई प्रकार की विधिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
कहा कि आगे रजिस्ट्री कार्य भी पेपरलेस/ऑनलाईन होना प्रस्तावित है, जिससे इस काम को कर रहे हमारे अधिवक्ताओं के हित बुरी तरह से प्रभावित होंगे और कई साथियों को तो रोजी रोटी छिन जाएगी। यू.सी.सी.के इन प्रावधानों में व्यवहारिक कमियां हैं, जो आम जनमानस के हित में नहीं है।
इस कारण यू.सी.सी.के इन प्रावधानों में अधिवक्ताओं के हितों को सुरक्षित रखने के लिए विरोध अति आवश्यक है, ताकि उचित समाधान निकाला जा सके।
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