दीपक की सीएम को पाती-वीरांगनाओ के साथ न्याय करें सरकार , सुप्रीम कोर्ट से मामले को ले वापस
हल्द्वानी skt. कॉम
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वीर नारियों और वीरांगनाओं के साथ न्याय करने की अपील करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में की गई रेट याचिका को वापस लेकर वीर नारियों और वीरेंद्र को मिलने वाली 10 लाख की धनराशि देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
हाई कोर्ट में सरकार वीर नारियों को मिलने वाली 10 लाख की एक मुश्तधन राशि के मामले परकेस हार गई थी। इसके बाद भी सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है जिसकी सुनवाई अभी भी चल रही है
दीपक ने बताया कि शहीद सैनिक एवं अर्धसैनिक परिवारों की वीरंगनाओं को 10 लाख रुपये एकमुश्त अनुग्रह राशि दिये जाने का शासनादेश वर्ष 2014 (शासनादेश संख्या 169/XII-3/14-09(31)/2014, दिनांक 05/03/2014) में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा पारित किया गया था। यह शासनादेश जारी होने के बाद महामहिम राज्यपाल की ओर से भी इसकी स्वीकृति प्रदान की गई थी। शासनादेश के अनुसार शहीद की वीर नारी को 6 लाख रुपये एवं माता पिता को 4 लाख रुपये दिये जाने का प्रावधान था। माता पिता के जीवित नहीं होने पर समस्त 10 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह अनुदान राशि वीर नारी को प्रदान करने का प्रावधान था। जबकि वीर नारी के जीवित न होने पर 4 लाख रुपये शहीद के माता पिता को तथा 6 लाख रुपये शहीद के बच्चों को बराबर बाटंने का प्रावधान था। शहीद की पत्नी एवं माता पिता के जीवित नहीं होने पर पूरी राशि बच्चों में बराबर बांटने का प्रावधान किया गया है, जबकि शहीद की अविवाहित होने पर 10 लाख रुपये की सम्पूर्ण अनुग्रह अनुदान राशि शहीद के माता पिता को दिये जाने का प्रावधान है। इसके बाद से ही शहीद सैनिक परिवारों की वीर नारियांे को सम्मान स्वरूप दस लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह राशि मिलनी शुरू हो गई थी।
महोदय वर्ष 2017 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार द्वारा पारित शासनादेश संख्या (शासनादेश संख्या 169/XII-3/14-09(31)/2014 दिनांक 05/03/2014) पर रोक लगा दी। भाजपा सरकार के इस फैसले के बाद प्रभावित शहीद सैन्य परिवारों ने माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड, नैनीताल में न्याय के लिए शरण ली। अनिता देवी एवं अन्य की ओर से उच्च न्यायालय में दायर याचिका में माननीय उच्च न्यायालय की सिंगल बैंच ने 04 नवम्बर 2020 को शहीद परिवारों के पक्ष में फैसला दिया। इससे शहीद परिवारों को पुनः उम्मीद जगी थी कि उन्हें पूर्व में सरकार द्वारा जारी शासनादेश का लाभ मिलेगा परन्तु इसके बाद प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय की सिंगल बैंच को डबल बैंच में चुनौती दे दी। यहां भी प्रदेश सरकार को कोई राहत न देते हुए उच्च न्यायलय की डबल बैंच ने सभी शहीद परिवारों के लिये वर्ष 2014 में जारी शासनादेश के तहत 10 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह अनुदान राशि देने के आदेश पारित कर दिये।
महोदय प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय के फैसले से सन्तुष्ट न होकर आदेश के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील पर चली गई। माननीय सर्वोच्च न्यायालय में स्टेट आॅफ उत्तराखण्ड बनाम् अनीता देवी एवं अन्य (Petition(s) for Special Leave to Appeal (C) No (s). 18372/2022 Date 28/07/2022) अपील आज भी लम्बित है। जिस कारण उत्तराखण्ड प्रदेश के सैकड़ों शहीद सैन्य परिवार 10 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह अनुदान राशि पाने के लाभ से वंचित हैं।
महोदय भाजपा सरकार जो कि सैन्य धाम बनाने के साथ ही लम्बे समय से शहीद सैन्य परिवारों के हितों का ध्यान रखने व सम्मान की बात करती है, परन्तु ठीक इसके विपरीत सरकार शहीद सैनिकों की वीर नारियों एवं आश्रितों को मिलने वाली एकमुश्त अनुग्रह अनुदान राशि से वंचित कर रही है। महोदय से विनम्र प्रार्थना है कि वह शहीद सैन्य परिवारों को मिलने वाली 10 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह अनुदान राशि वाले शासनादेश (शासनादेश संख्या 169/XII-3/14-09(31)/2014, दिनांक 05/03/2014) को पुनः उसी रूप में लागू कराकर शहीद सैनिक परिवारों के सम्मान को वापस लौटाने का काम करे। मैं उम्मीद एवं विश्वास करता हूँ कि सरकार शहीद सैनिक परिवारों के हितों का ध्यान रखते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई अपील को वापस लेने की कृपा करेगी। इसके लिए समस्त उत्तराखण्ड प्रदेश के हजारों सैनिक परिवार आपके आभारी रहेंगे।
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