त्रिवेंद्र सरकार के दौरान हुआ करोड़ों का घोटाला, ऐसे हुआ खुलासा

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त्रिवेंद्र सरकार के दौरान हुए बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। घोटाले का खुलासा आरटीआई के जरिए हुआ है। ये घोटाला कृषि विभाग में हुआ है। हैरानी की बात तो ये है कि घोटाले की जांच रिपोर्ट भी पेश की गई लेकिन इस रिपोर्ट पर एक्शन लेने के बजाय इसे दबा दिया गया।

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कृषि विभाग में उर्वरक बेचने में हुआ घोटाला
कृषि विभाग ने वर्ष 2019-20, 2020-21 में किसानों को अमानक (घटिया) जिंक सल्फेट उर्वरक के नाम पर वितरित किया। वितरित किए गए जिंक सल्फेट के नमूने अमानक पाए जाने के बाद भी दो साल में लगभग 40 करोड़ का जिंक सल्फेट खरीदा गया। कुल खरीद का अस्सी फीसदी से अधिक हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिलों में खरीद की गई।

दो साल बाद भी रिपोर्ट पर नहीं हुई कार्रवाई
जब इस घटिया जिंक सल्फेट उर्वरक की जांच रिपोर्ट सामने आई तो भारत सरकार के केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान फरीदाबाद की रिपोर्ट पर कार्यवाई करने के बजाय रिपोर्ट को दबा दिया गया। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रूड़की को सैम्पल के अमानक होने की रिपोर्ट दो साल तक दबी रही। सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि अब इसकी पत्रावली गायब हो गयी है।

सूचना अधिकार के अंतर्गत एक अपील में हुआ खुलासा
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कार्यालय के अनुसार इस घोटाले की जांच रिपोर्ट कार्रवाई की संस्तुति के साथ मुख्य कृषि अधिकारी को भेजी गई थी। लेकिन मुख्य कृषि अधिकारी कार्यालय इस से इंकार कर रहा है। कृषि विभाग में घटिया जिंक सल्फेट की खरीद का खुलासा सूचना अधिकार के अंतर्गत एक अपील में हुआ है। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने प्रकरण में जिलाधिकारी हरिद्वार को एक माह में जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

जांच की पत्रावली भी हुई गायब
आपको बता दें कि वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में एडवांस क्रॉप केयर (इण्डिया) प्रा०लि० 203- इन्दौर ट्रेड सेन्टर, साउथ दुकोगंज, इन्दौर, मध्यप्रदेश से 40 करोड़ रूपए की लागत से जिंक सल्फेट खरीदा गया। साल 2019-20 में प्रदेश के विभिन्न जिलों में जिंक सल्फेट की21 प्रतिशत और 2020-21 में जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत की खरीद की गई। जिसमें से सबसे ज्यादा 317 मै.ट हरिद्वार में एवं 300 मैट्रिक टन की खरीद ऊधमसिंहनगर जिले द्वारा की गई। निदेशालय स्तर से जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत हेतु 23.91 रूपए प्रति० किग्रा और जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत हेतु 29.90 रूपए प्रति किग्रा की दर निर्धारित की गई थी।

जब इस उर्वरक की घटिया क्वालिटी के बारे में शिकायत की गई तो इस पर जांच कराई गई। केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान फरीदाबाद द्वारा इस अमानक घोषित किया। केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा उप जिलाधिकारी रूड़की को रिपोर्ट तीन मार्च 2020 को ही भेज दी थी। लेकिन उनका कहना है कि उन्हें ये रिपोर्ट नहीं मिली। साल 2020 से 2022 तक ये जांच रिपोर्ट कहां रही और इस पर क्या कार्यवाही की गई इसका कोई प्रमाण पत्रावली पर नहीं है।

रिपोर्ट का नहीं लिया गया संज्ञान
केन्द्रीय उर्वरक गुण नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान की इस रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लिया गया और संबंधित फर्म से ही हरिद्वार एवं अन्य जिलों में करोड़ों के जिंक सल्फेट की खरीद की जाती रही। जिसके बाद इस मामले में आरटीई डाली गई जिस से इस घोटाले का खुलासा हुआ है। शिकायतकर्ता ने राज्य के कृषकों के हित से संबंधित प्रकरण में अभिलेखों को गायब करने व नष्ट करने तथा हेराफेरी कर बड़े भ्रष्टाचार को दबाने की आशंका व्यक्त की थी।