विधानसभा से बर्खास्त कर्मियों का धरना लगातार जारी, अध्यक्ष पर गंभीर आरोप
उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन धरने के दिन भी अपना धरना जारी रखा। इस दौरान कार्मिकों ने विधान सभा अध्यक्ष से न्याय की गुहार लगाई। कार्मिकों ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष ने दोहरा मापदंड अपनाकर कार्मिकों को बर्खास्त किया है जो कि बिल्कुल भी न्याय संगत नहीं है।
बर्खास्त कार्मिकों का कहना है कि राज्य गठन से लेकर अब तक जो भी नियुक्तियां विधान सभा में हुई है उन नियुक्तियों को डीके कोटिया कमेटी द्वारा अवैध घोषित किया गया हैं जिसका मतलब सीधा माना जा सकता है कि राज्य गठन से वर्तमान तक जितने भी विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं या जितने अभी तक विधानसभा में सचिव रहे वे सब भी अवैधानिक थे तो फिर कोटिया कमेटी द्वारा उन पर विचार क्यों नहीं किया गया,
जबकि केवल 2016 में सचिव के पद पर तैनात रहे जगदीश चंद्रा व उसके बाद मुकेश सिंघल एवं तत्कालीन विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल की भर्तियों की ही जांच क्यों की गई, जबकि विधान सभा द्वारा उच्च न्यायालय में यह शपथ पत्र दाखिल किया गया कि 2000 से 2022 तक सभी भर्तियां अवैध एवं असंवैधानिक हैं।
बर्खास्त कर्मियों ने कहा है कि अब बड़ा सवाल खड़ा होता है कि विधानसभा में जो भी सचिव रहे हैं उनको कोटिया कमेटी द्वारा फर्जी घोषित किया गया अगर ऐसा नहीं तो कोटिया कमेटी इस जांच को कराने योग्य थी, यदि योग्य थी तो उसमें न्यायिक संवर्ग व विधिक संवर्ग के किसी विशेषज्ञ को क्यों नहीं रखा गया?
इन सभी बातों का केवल एक ही जवाब निकलता है कि वर्तमान विस अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी द्वारा अपने किसी हित को साधने का कार्य किया गया है साथ ही अपनी राजनीति चमकाई गई है। आखिर अगर कमेटी की रिपोर्ट सही है तो 2000 से लेकर 2022 तक सभी भर्तियों को एक ही नजर से देखा जाना चाहिए, न्याय हो तो पूरा हो।
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