बधाई-वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट सेवानिवृत्त अफसरों एवम कार्मिकों ने दी विदाई
अपने सेवाभाव एवम औषधीय पौधों के संवर्धन एवम वितरण के उनके प्रयासों की वजह से सैकड़ो संस्थाओं की ओर से सम्मानित हुए बिष्ट
हल्द्वानी skt.com
वन अनुसंधान केंद्र वन विभाग में वन क्षेत्र अधिकारी के पद पर तैनात मदन सिंह बिष्ट को आज उनकी सेवानिवृत्ति पर विभागीय अधिकारियों और कार्मिकों ने भावभीनी विदाई देते हुए उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की ।
60 वर्ष की आयु पूरे होने पर विभाग में कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति दी जाती है इसी क्रम में मदन सिंह बिष्ट भी 60 वर्ष की आयु पूरे करने पर आज 31 दिसंबर को सेवानिवृत्ति हुई ।
मदन सिंह बिष्ट विभाग ही नहीं बल्कि समाज में भी काफी चर्चित चेहरे रहे हैं उनके द्वारा औषधि पौधों को विकसित करने के अलावा उनके वितरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।
इसके अलावा कई तरह की बीमारियों में उपचार के लिए प्रयोग में आने वाली औषधियां पौधों का उन्होंने प्रचार प्रसार किया। जिसकी वजह से देश ही नहीं विदेश से आए लोगों ने उनसे इन औषधीय के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा इन औषधि युक्त पौधों को अपने साथ भी ले गए तथा उनके अपने-अपने क्षेत्र में संवर्धन किया।
इसके अलावा उसने कासनी मैन के रूप में जाना जाता है कासनी के पौधे को शुगर के उपचार के लिए बेहतर माना जाता है उन्होंने कासनी के पौधे का काफी प्रचार प्रचार किया तथा कई लोगों को उपचार के लिए सलाह दी
विदाई के दौरान मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी सेवानिवृत्त प्रभागीय वनाधिकारी बलवंत सिंह शाही , सहायक वन वर्धनिक मुकुल एवं समस्त अनुसंधान शाखा के अधिकारी कर्मचारियों के साथ मौजूद रहे।
बिष्ट ने परिवार के लोग, परिचित स्वजन, मित्र, समाज के सुधी जन, मीडिया के मित्र गण , स्वयं सेवी संस्थाएं के शुभचिंतक , पर्यावरण प्रेमी मित्रगण,तथा आम जनता जिनसे जुड़े प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सभी का आभार जताते हुए भविष्य में भी प्रकृति संरक्षण के लिए उपलब्ध रहने की बात कही।
उन्होंने गलवान घाटी के रूप में एक पुष्प वाटिका का भी वन अनुसंधान केंद्र में निर्माण किया तथा इस दौरान विभिन्न पौधों को शहीदों का नाम भी दिया इसके अलावा वह कई संस्थानों से जुड़े रहे जो कि पर्यावरण के संवर्धन के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं सामाजिक संस्थाओं का मानना है कि मदन सिंह बिष्ट जी की सेवानिवृत्ति होने के बाद उन्हें उनका अधिकार अधिक सहयोग मिलेगा जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी इसके अलावा उन्होंने मृत्यु के बाद देहदान की भी घोषणा की है जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है
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