ब्रेकिंग-वनभुलपुरा हिंसा की सह मास्टरमाइंड साफिया के द्वारा दिए शपथ पत्र की हाई कोर्ट में खुली पोल

Ad
Ad
ख़बर शेयर करें

नैनीताल skt. com

Banbhulpura crime हल्द्वानी के बनभूलपुरा हिंसा मामले में आरोपित साफिया मलिक की एडीजे कोर्ट हल्द्वानी से जमानत प्रार्थना पत्र खारिज होने से संबंधित आदेश में हाई कोर्ट में झूठा शपथपत्र दाखिल करने का भी उल्लेख किया है।
इसमें आरोपित ने बीमार 90 वर्षीय गौस रजा खान, जो उठने-बैठने में असमर्थ था और जिसकी अब मौत हो चुकी है, उसके नाम से शपथपत्र दाखिल कर दिया।
मामले में रजा खान की पत्नी ने बताया है कि उसकी ओर से कोई शपथपत्र दाखिल नहीं किया गया। न ही उनके घर पर कोई अधिवक्ता या नोटरी अधिकारी आया था। प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी की कोर्ट ने बनभूलपुरा बवाल के मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल मलिक की पत्नी साफिया मलिक का जमानत प्रार्थना पत्र सुनवाई के बाद 27 अप्रैल को खारिज कर दिया था।
एफआइआर गलत तथ्यों के आधार पर दर्ज
साफिया का कहना था कि उसके विरुद्ध एफआइआर गलत तथ्यों के आधार पर दर्ज की गई है। जिस पर उसने हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की है। जिसमें बताया कि उसके पिता हनीफ खान ने लीज होल्डर नवी खान से 1994 में एक प्रापर्टी लीज में प्राप्त की।


उत्तराधिकार के माध्यम से यह संपत्ति उसे प्राप्त हुई। सरकारी भूमि को बेचने के संबंध में कोई झूठा शपथ पत्र या प्रार्थना पत्र न तैयार किया न ही झूठे दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट को गुमराह किया। लीज भूमि यासीन को प्राप्त हुई थी। इसके बाद अख्तरी बेगम व नवी राजा खान को अंतरित हुई। उसके बाद हनीफ खान को मौखिक या हिबा सौदे पर प्राप्त हुई।

हनीफ की मृत्यु के बाद उसको मिली। इस मामले में सरकारी अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि कंपनी बाग या कालांतर में मलिक का बगीचा में अवैध रूप से अतिक्रमण किया जा रहा था। अवैध रूप से प्लाटिंग की जा रही थी। यह भी बताया कि 1993 से ही अतिक्रमण रोकने को लेकर नगरपालिका की ओर से नगर मजिस्ट्रेट हल्द्वानी को भेजे गए थे। जिस समय साफिया मलिक की ओर से मौखिक हिबा अख्तरी व नवी रजा खान ने अब्दुल हनीफ खान के हक में कर दिया।
उत्तराधिकार के माध्यम से यह संपत्ति उसे प्राप्त हुई। सरकारी भूमि को बेचने के संबंध में कोई झूठा शपथ पत्र या प्रार्थना पत्र न तैयार किया न ही झूठे दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट को गुमराह किया। लीज भूमि यासीन को प्राप्त हुई थी। इसके बाद अख्तरी बेगम व नवी राजा खान को अंतरित हुई। उसके बाद हनीफ खान को मौखिक या हिबा सौदे पर प्राप्त हुई।

हनीफ की मृत्यु के बाद उसको मिली। इस मामले में सरकारी अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि कंपनी बाग या कालांतर में मलिक का बगीचा में अवैध रूप से अतिक्रमण किया जा रहा था। अवैध रूप से प्लाटिंग की जा रही थी। यह भी बताया कि 1993 से ही अतिक्रमण रोकने को लेकर नगरपालिका की ओर से नगर मजिस्ट्रेट हल्द्वानी को भेजे गए थे। जिस समय साफिया मलिक की ओर से मौखिक हिबा अख्तरी व नवी रजा खान ने अब्दुल हनीफ खान के हक में कर दिया।

जबकि वास्तव में एक ओर नवी रजा खान की मृत्यु 1988 में हो गई और अख्तरी बेगम बिस्तर से उठने में असमर्थ थी। जिस संपत्ति के संबंध में हिबा किया गया, उस पर अख्तरी बेगम व नवी रजा खान का मालिकाना हक नहीं था। लीज कंपनी बाग की थी जो 1976 में समाप्त हो गई थी।
शपथपत्र ने खोली झूठ की पोल
एडीजे कोर्ट के आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि साफिया मलिक ने इसी साल हाई कोर्ट में जो याचिका दायर की। उसमें नवी रजा खान के भाई गौस रजा खान, जिसके बयान बेदखली वाद में दस अक्टूबर 1991 में उसने एक शपथ पत्र दिया है कि अख्तरी बेगम व नवी रजा खान ने अब्दुल हनीफ खान को संपत्ति उपहार में दे दी।

साथ में देखरेख करने की बात भी कही जबकि आज की तिथि में गौस रजा खान की मृत्यु हो चुकी है। केस डायरी में दर्ज बयानों ने खुली पोल पुलिस की केस डायरी के अवलोकन से पता चला कि गौस रजा खान अत्यधिक बीमार था और बिस्तर से उठने में असमर्थ था। उसकी आयु 90 वर्ष थी।

जब गौस से पूछताछ की गई तो उसकी पत्नी ने स्पष्ट किया कि कोई शपथ पत्र नहीं दिया गया और उनके घर कोई अधिवक्ता या नोटरी अधिकारी नहीं आया। यह भी कहा कि कंपनी बाग की जिस भूमि पर अब्दुल मलिक व साफिया मलिक ने प्रथमदृष्टया अनाधिकृत रूप से कब्जा कर लिया, उसमें अवैध प्लाटिंग करते हुए स्वयं व बैमाने के रूप में स्टांप पेपर के आधार पर विक्रय कर दिया। जिस भवन को मदरसा व अन्य भवन जिसे नमाज स्थल बताया जा रहा है, वह मात्र बेसमेंट है। उस पर भूतल या प्रथम तल उपलब्ध नहीं है।

आठ फरवरी को जब अनधिकृत कब्जे को हटाने के लिए पुलिस, नगर निगम व प्रशासन की टीम पहुंची तो साफिया मलिक व उसके पति अब्दुल मलिक ने क्षेत्र में अन्य लोगों को भड़काया और परिणाम यह हुआ कि बनभूलपुरा क्षेत्र में हिंसा हुई। थाना बनभूलपुरा को आग से क्षति पहुंची।
दंगा नियंत्रण करने को गोली मारने के आदेश करने पड़े। कोर्ट ने कहा कि साफिया मलिक या उसके परिवार के किसी सदस्य को कानून व्यवस्था या आम जनता की सुरक्षा को दांव पर लगाने या उन्हें जोखिम में डालने की अनुमति किसी भी प्रकार से नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सरकारी पक्ष की दलीलों के आधार पर जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था।