#BJP विधायक ने झूठ बोलकर किया कोर्ट को गुमराह, कांग्रेस ने लगाए आरोप, विद्यायक ने कहा मेरे खिलाफ हो रहा है षड्यंत्र

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प्रमोद नैनवाल घोटाला
उद्यान विभाग में हुए भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। इसी बीच कांग्रेस ने आरोप लगाए हैं कि रानीखेत से बीजेपी विधायक प्रमोद नैनवाल ने झूठ बोलकर हाईकोर्ट को गुमराह किया है।

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BJP विधायक ने झूठ बोलकर किया कोर्ट को गुमराह
उद्यान विभाग में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा है कि जिस तरह से रानीखेत से भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल ने खुद को बेकसूर बताया है वो परोक्ष रूप से उच्च न्यायालय का अपमान है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि

नैनवाल अपनी कुक्कृतियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने का प्रयास कर रहे हैं अगर नैनवाल इतने ही पाक-साफ हैं तो फिर संगठन ने उन्हें मुख्यालय से प्रेस वार्ता करने की इजाजत क्यों नहीं दी और उन्हें एक निजी होटल से प्रेस वार्ता क्यों करनी पड़ी।

विधायक के भाई से लाखों रूपए की रकम क्यों नहीं ली गई ?
गरिमा दसौनी ने उद्यान विभाग में हुए पौधा वितरण के घोटाले पर कहा की इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती की जनहित याचिका में मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल आर के सिंह को भी उच्च न्यायालय ने पार्टी बनाया था। जिसके जवाब में आर के सिंह द्वारा न्यायालय को को काउंटर एफिडेफिट कोर्ट में दिया गया। वहां पर कोर्ट को ये बताया गया कि उसने सतीश नैनवाल को मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन से 2402 पौधे एप्पल क्लोनल रूट स्टॉक के दिए।

हैरानी की बात ये है कि प्रदेश में इस योजना में इसके एक पौधे की कीमत 465 रुपए है और मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन में 50% अंशदान विधायक के भाई का तो 50% अंशदान विभाग द्वारा दिया जाना था। लेकिन विधायक के भाई द्वारा दिए जाने वाले अंशदान तो दिया ही नहीं गया।

इसके स्थान पर विधायक प्रमोद नैनवाल और बेतालघाट में उसकी ब्लॉक प्रमुख बहन ने मुख्य उद्यान अधिकारी को अच्छे कार्य का १००% पौधे जीवित होने का प्रमाण पत्र दे दिया। जिसे सी एच ओ नैनीताल ने अपने काउंटर में कोर्ट में जमा कराया। अगर ये मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन योजना से दिए गए पौधे थे तो विधायक के भाई से इतनी बड़ी रकम ना लिया जाना सरकारी कोष में चोरी नहीं तो और क्या है?

विधायक और सरकार के दबाव में कुछ नहीं कर रहे अधिकारी
कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि 2402 पौधे क्लोनल रूट स्टॉक को लगाने का जो मानक है। इस आधार पर कम से कम ७० नाली से भी अधिक जमीन होनी चाहिए। लेकिन जहां पर ये पौधे लगाए हुए दिखाए गए हैं वहां विधायक और उसके भाई की संयुक्त जमीन केवल 41 नाली है। तो बाकी जमीन जो घेरी गई वो पूरी कहां से आई?

दसौनी ने जानकारी देते हुए बताया की बाकी घेरी हुई जमीन लोक निर्माण विभाग, वन विभाग और राजस्व विभाग की है जो विधायक और सरकार के दबाव और मजबूरी में कुछ नहीं कर पा रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि इस काउंटर एफिडेबिट के आधार पर जब सी एच ओ नैनीताल से इन पौधों की सूचना मांगी गई कि कैसे पौधे दिए?

किस आधार पर दिए? किस योजना से दिए?तो उसने सूचना में यह बताया कि उसने ये सभी पौधे विधायक के भाई सतीश नैनवाल को निः शुल्क पौध वितरण योजना के अंतर्गत दिए जो अपने आप में बहुत बड़ा संशय उत्पन्न करता है।

सीबीआई जांच का होना चाहिए स्वागत

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बता दें कि विधायक प्रमोद नैनवाल ने अपने बयान में ये बताया है कि उसने बागवानी विकास योजना के तहत ये पौधे लगाए गए ये योजना केंद्रपोषित है और इसके लिए अलग मानक हैं। विधायक कहते हैं कि माली स्वयं आए थे, पौधे लगाकर गए तो वो बताएं कितने दिन माली यहां पौधे लगाकर गए और कितने माली आए थे? गरिमा दसौनी ने कहा कि अगर उत्तराखंड की भाजपा की धामी सरकार टॉलरेंस की बात सही में करती है तो फिर उसे सीबीआई जांच का स्वागत करना चाहिए और सच्चाई को बाहर लाना चाहिए।

विधायक प्रमोद नैनवाल ने सफाई देते हुए कहा कि उनके खिलाफ यह षडयंत्र किया जा रहा है जबकि यह मुख्यमंत्री बागवानी योजना के तहत उन्हें 6 महीने में पैसे जमा करने थी जो उनके द्वारा जमा कर दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्र से पलायन रोकने के लिए बनाई गई इस योजना का क्षेत्रीय लोगों ने स्वागत किया है तथा इससे लोगों को अपनी खेती बचाने में मदद मिल रही है सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर लोगों को खेती बचाने के अभियान से जोड़ा जा रहा है