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एक दुःखद खबर आ रही है स्वास्थ्य विभाग बीरोंखाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की टीम के कार के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसमें घायल स्टाफ नर्स पूजा ह्याकी की बिजनौर में उपचार के दौरान मौत हो गई है..
पूजा हयाँकी विगत दिवस पौड़ी के क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविर के बाद वापस लौट रही थी कि बीरोंखाल के पास स्वास्थ्य विभाग की यह गाड़ी पनार नदी में गिर गई जिसमें नदी से पूजा को निकाला गया था क्योंकि वह गाड़ी से छिटक कर नदी में चली गई थी.
इसके बाद उसे उपचार के लिए उसे पहले बीरोखाल फिर रेफर कर रामनगर लाया गया जहां पीपीपी मोड पर चल चल रहे अस्पताल में उसका उपचार शुरू किया गया.
लेकिन उसे यहां उपचार देने के बजाय इस पीपीपी कंपनी के संचालक द्वारा उसे उपचार के लिए बिजनौर ले जाया गया जहां उसकी मौत की सूचना आ रही है. यहां निजी अस्पताल में उसका उपचार करा गया जो कि पीपीपी मोड में चला रही संस्था के संचालक का अपना निजी अस्पताल बताया जा रहा है.
अब सवाल यह उठता है कि सरकारी अस्पताल की स्टाफ को उपचार के लिए इस इस पीपीपी मोड के संचालकों द्वारा उपचार के लिए उत्तराखंड के अस्पतालों के बजाय सीधे इसके अपने निजी हॉस्पिटल में क्यों ले जाया गया. रामनगर के नजदीक हल्द्वानी में मेडिकल कॉलेज के अलावा कई बड़े प्राइवेट अस्पताल है इसके अलावा देहरादून में भी बहुत बड़े अस्पताल है साथ ही काशीपुर में भी उपचार की बड़ी सुविधा है.
लेकिन संचालक द्वारा इसको बिजनौर ले जाने में जो समय लगा उसके बाद उसका उपचार सही तरीके से नहीं हुआ जबकि वह इतनी गंभीर नहीं थी.
बिजनौर ले जाने में लगे समय इस समय पर उपचार नहीं मिला. सरकार द्वारा इस अस्पताल को प्रतिमाह 1 करोड़ रुपिया पीपीपी मोड में अस्पताल चलाने के लिए दिया जा रहा है लेकिन उसके बाद भी यहां उपचार नहीं मिल रहा है.
रामनगर के नजदीक हल्द्वानी में मेडिकल कॉलेज होने के अलावा कई विश्व स्तरीय विश्व शनि अस्पताल हल्द्वानी में मौजूद थे किस साजिश के तहत इसे बिजनौर संचालक के निजी अस्पताल में ले जाया गया की वजह से इस होनहार स्टाफ नर्स को अपनी जान गंवानी पड़ी.
सूत्रों के अनुसार यह भी खबर आ रही है इस अस्पताल को पीपीपी मोड में चलाने वाली संस्था शुभम सर्वम मेडिकल प्रोजेक्ट हमेशा से ही विवादों के घेरे में रही है इसको टेंडर मिलने में भी साफ-सुथरी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई . यह कंपनी टेंडर प्रक्रिया के 2 माह बाद अस्तित्व में आई सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस इस कंपनी के रामनगर का टेंडर हुआ था उसने कामना करते हुए अधिकारियों के साथ मिलीभगत करने के बाद टेंडर के अस्तित्व में आने के दो महाभारत बनी कंपनी को यह टेंडर हस्तांतरित कर दिया और ऐसी कंपनी को एक बड़े अस्पताल को चलाने की जिम्मेदारी दी गई जिसके पास किसी भी तरह का अनुभव नहीं था और जो मानकों पर भी खरी नहीं उतरती है टेंडर भी उसे मुरादाबाद की एक कंपनी हस्तांतरण के बाद हुआ है मुरादाबाद की कंपनी का टेंडर होने के बाद उसने स्वयं नहीं लिया इस सूची में दूसरे नंबर की कंपनी को यह टेंडर मिलना चाहिए था लेकिन मोटी रकम मिलने की वजह से की कंपनी का टेंडर बिजनौर की कंपनी को हस्तांतरित दिया गया
पीपीपी मोड पर रामनगर अस्पताल चला रही संस्था के कार्यों पर समय-समय पर लोगों द्वारा उंगलियां उठाई गई है
यह संस्था स्वास्थ्य विभाग के साथ करार करने के बाद पीपीपी मोड में काम कर रही है लेकिन इसकी कार्यशैली पर स्थानीय लोगों ने कई बाऱ ऊँगली उठाई गईं है.सुभम सर्वम मेडिकल प्रोजेक्ट के खिलाफ कई बाऱ जनप्रतिनिधि भी धरना भी दें चुके हैँ.
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