बड़ी खबर -आयोग की खुद की प्रिंटिंग प्रेस से पेपर हुआ ली, किसी को नहीं हुई कानो कान खबर
राज्य में यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामला लगातार सुर्खियों में है। सचिवालय रक्षक भर्ती में भी धांधली की बात सामने आई है। मामले में एक गिरफ्तारी भी हुई है। हैरानी वाली बात ये है कि पेपर लीक की शुरुआत आयोग की खुद की प्रिंटिंग प्रेस से हुई और किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई। जाहिर है इसमें उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की भी बड़ी लापरवाही रही।
आयोग ने खुद की प्रेस में जो पहला पेपर छपवाया, वो ही लीक हो गया। हालांकि अभी तक आयोग से कोई भी कर्मचारी या अधिकारी पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार नहीं हुआ है, लेकिन कर्मचारियों में डर का माहौल बना हुआ है। आयोग के पूर्व सचिव, परीक्षा नियंत्रक व कर्मचारियों से एसटीएफ लगातार पूछताछ कर रही है। रोजाना किसी न किसी से पूछताछ चल रही है। इससे कई कर्मचारी अंदरखाने काफी डरे हुए बताए जा रहे हैं। दरअसल आयोग ने कोरोना काल में ही छोटी परीक्षाओं के लिए यह प्रिंटिंग प्रेस लगवाई थी।
आवाजाही की दिक्कतों को देखते हुए आयोग के तत्कालीन अधिकारियों ने रायपुर में अपनी प्रिंटिंग प्रेस स्थापित करने का निर्णय लिया था। आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी ने बताया कि यह प्रेस छोटी परीक्षाओं के लिए लगाई गई थी, क्योंकि इसकी क्षमता कम प्रश्न पत्र छापने की थी
इस प्रेस में सालभर में केवल सचिवालय संवर्ग रक्षक भर्ती का पेपर छपा था, जिसमें करीब दस हजार उम्मीदवार शामिल होने थे। पहला ही पेपर इस प्रेस से लीक हो गया। उधर पेपर लीक के विवादों के बीच आयोग परिसर में सभी बाहरी लोगों के परिसर में प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया गया है।
उम्मीदवारों के ज्ञापन या शिकायतें भी आयोग के गेट पर ही रिसीव की जा रही हैं। पेपर लीक मामले में आयोग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। हैरानी वाली बात ये है कि पेपर लीक की शुरुआत आयोग की खुद की प्रिंटिंग प्रेस से हुई और किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई। अब आयोग के अधिकारियों-कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। उत्तराखंड में बीते सालों में हुई सरकारी भर्तियां संदेह के घेरे में हैं। यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामला लगातार सुर्खियों में है।
सचिवालय रक्षक भर्ती में भी धांधली की बात सामने आई है। मामले में एक गिरफ्तारी भी हुई है। हैरानी वाली बात ये है कि पेपर लीक की शुरुआत आयोग की खुद की प्रिंटिंग प्रेस से हुई और किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई। जाहिर है इसमें उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की भी बड़ी लापरवाही रही। आयोग ने खुद की प्रेस में जो पहला पेपर छपवाया, वो ही लीक हो गया।
हालांकि अभी तक आयोग से कोई भी कर्मचारी या अधिकारी पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार नहीं हुआ है, लेकिन कर्मचारियों में डर का माहौल बना हुआ है। आयोग के पूर्व सचिव, परीक्षा नियंत्रक व कर्मचारियों से एसटीएफ लगातार पूछताछ कर रही है। रोजाना किसी न किसी से पूछताछ चल रही है। इससे कई कर्मचारी अंदरखाने काफी डरे हुए बताए जा रहे हैं।
दरअसल आयोग ने कोरोना काल में ही छोटी परीक्षाओं के लिए यह प्रिंटिंग प्रेस लगवाई थी। आवाजाही की दिक्कतों को देखते हुए आयोग के तत्कालीन अधिकारियों ने रायपुर में अपनी प्रिंटिंग प्रेस स्थापित करने का निर्णय लिया था। आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी ने बताया कि यह प्रेस छोटी परीक्षाओं के लिए लगाई गई थी,
क्योंकि इसकी क्षमता कम प्रश्न पत्र छापने की थी। इस प्रेस में सालभर में केवल सचिवालय संवर्ग रक्षक भर्ती का पेपर छपा था, जिसमें करीब दस हजार उम्मीदवार शामिल होने थे। पहला ही पेपर इस प्रेस से लीक हो गया।
उधर पेपर लीक के विवादों के बीच आयोग परिसर में सभी बाहरी लोगों के परिसर में प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया गया है। उम्मीदवारों के ज्ञापन या शिकायतें भी आयोग के गेट पर ही रिसीव की जा रही हैं। Uksssc paper leak मामले में आयोग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है।
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