बड़ा खुलासा : देहरादून में 700.30 एकड़ सरकारी जमीन हो गई गायब, राजस्व विभाग के पास नहीं है कोई ब्यौरा
देहरादून से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां 700.30 एकड़ सरकारी जमीन गायब हो गई। सबसे बड़ी बात तो ये है कि राजस्व विभाग के पास दस्तावेजों में भी इस जमीन का कोई ब्यौरा भी नहीं है। जिला प्रशासन भी ये नहीं बता पा रहा है कि ये सरकारी जमीन कहां गई ?
देहरादून के आरकेडिया ग्रांट क्षेत्र में चंदनबनी एस्टेट की 700.30 एकड़ सरकारी जमीन गायब हो गई है। राजस्व विभाग से लेकर जिला प्रशासन तक के पास इसका जवाब नहीं है कि ये जमीन गई तो कहां गई ? बता दें कि रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने इस मामले का खुलासा किया है।
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच कर रहे दल ने किया बड़ा खुलासा
आपको बता दें कि नरजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच कर रहे दल ने जमीन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। इसमें बताया गया है कि साल 1969 में तत्कालीन राज्य सरकार ने दून हाउसिंग कंपनी से जमीन का अधिग्रहण किया था। लेकिन उसके बाद से ये जमीन कहां है और किसके कब्जे में इसकी कोई भी जानकारी नहीं मिल पा रही है।
आजादी से पहले बनी थी दून हाउसिंग कंपनी
बता दें कि आजादी से पहले देहरादून में दून हाउसिंग कंपनी बनी थी। इस कंपनी को सरकार ने आवासीय परियोजनाओं में प्रयोग के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन दी थी। इसमें सरकार की ओर से शर्त रखी गई थी कि अगर आवासीय परियोजनाओं में इस जमीन का प्रयोग नहीं किया जाता तो सरकार इसे वापस ले लेगी।
कंपनी द्वारा 700 एकड़ जमीन का प्रयोग आवासीय योजनाओं के लिए नहीं किया जा सका था। इसलिए सरकार ने शर्त के मुताबिक साल 1969 में उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण की सूचना प्रकाशित करा दी थी। इसके साथ ही ये सात सौ एकड़ जमीन राज्य सरकार में निहित हो गई।
सरकार को बड़ा नुकसान होने की संभावना
हाल ही में आई एसआईटी की रिपोर्ट ये बताती है कि प्रदेश में निहित होने के बाद चंदनबनी एस्टेट की 700.30 एकड़ जमीन पर अधिकारियों ने कब्जा लिया या नहीं ये अभी तक डीएम कार्यालय और तहसील सदर कार्यालय की ओर से स्पष्ट नहीं किया गया है। एसआईटी का कहना है कि 700.30 एकड़ सरकारी जमीन पर सरकार का कब्जा ना होना सरकार के लिए बड़े नुकसान की संभावना की ओर इशारा कर रहा है
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