भोपाल गैस कांड: 40 सालों से बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री को क्यों खोला गया? स्थानीय लोग क्यों कर रहे विरोध?

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BHOPAL GAS TRAGEDY union-carbide-factory

तीन दिसंबर साल 1984 की वो काली रात शायद ही कोई भूल पाया होगा। जब मध्यप्रदेश के भोपाल में एक दर्दनाक हादसा हुआ। भोपाल गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) इतिहास की सबसे दर्दनाक त्रासदियों में से एक है। इस घटना को 40 साल बीत चुके हैं। लेकिन इसके ज़ख्मआज भी हरे हैं।

हालांकि अब 40 साल बाद बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री को खोला गया। वजह है गैस त्रासदी का जहरीला कचरा। चार दशक बाद इस गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को नष्ट करने का फैसला लिया गया। जिसके लिए भोपाल यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से ये जहरीला कचरा लगभग 250 किलोमीटर की दूर पीथमपुर ले जाया गया। हालांकि इससे पीथमपुर(Pithampur) में रहने वाले लोगों में डर का माहौल है। जिसके चलते लोग इसका विरोध कर रहे है।

40 सालों से बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री को क्यों खोला गया?

भोपाल गैस कांड का ये जहरीला कचरा करीब 337 मेट्रिक टन है। ऐसे में पीथमपुर के लोग इस कचरे को जलाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे है। बीते दिन दिल्ली के जंतर मंतर पर पीथमपुर बचाओ समिति ने प्रदर्शन किया। दिल्ली में जारी धरने में मानव अधिकार परिषद भी शामिल हुआ। साथ ही तीन जनवरी को पीथमपुर बंद का भी ऐलान किया गया।

प्रदर्शन के बीच बीते दिन 337 मेट्रिक टन जहरीले कचरे को निकालने के लिए यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री को खोला गया। इस जहरीले कचरे को कंटेनरों में भरकर पीथमपुर भेजा गया। इस कचरे सेफली पीथमपुर पहुंचाने के लिए 250 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।

लोगों को सता रहा इस चीज का डर

बताते चले कि ये घातक कचरा कोर्ट के आदेश पर पीथमपुर के इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड में जलाया जाएगा। अब नष्ट किए जाने वाली जगह के आसपास बड़ी संख्या में लोग रहते है। उनकी सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। जलाने के बाद जहरीले कचरे की राख का वैज्ञानिक परीक्षण किया जाएगा। सुरक्षित होने पर उसे लैंडफिल साइड पर डंप किया जाएगा। हालांकि आस-पास इस क्षेत्र के लोगों को ये डर सता रहा है कि ये जहरीला कचरा आने वाले टाइम में पीथमपुर की आबो हवा के साथ भूमिगत जल स्रोत को भी दूषित कर सकता है।

25 साल तक रहता है वेस्ट का असर

बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश के मुुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस बाद की जानकारी दी थी इस वेस्ट को पीथमपुर ले जाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह ली गई है। जिसमें उन्होंने बताया कि वेस्ट का असर 25 साल तक रहता है। भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल बीत चुके है। ऐसे में वेस्ट के जलने से घबराने वाली बात नहीं है।

40 साल बाद भी नहीं भरे भोपाल गैस कांड के जख्म

भोपाल गैस त्रासदी ने लोगों की जिंदगी अंधकार से भर दी थी। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कारखाने से निकली जहरीली गैस ने 5,474 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। तो वहीं इससे करीब पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे।

कीटनाशकों के उत्पादन के लिए यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) कैमिकल का इस्तेमाल करता था। लापरवाही के चलते टैंक से काफी भारी मात्रा में मिथाइल आइसोसाइनेट लीक हो गई। जिसके बाद ये जहरीली गैस आबादी वाले इलाकों में फैल गई। अत्यधिक जहरीली होने के कारण इस गैस को इनहेल करते ही लोगों को सांस लेने में दिक्कत, अंधापन, जलन और फेफड़ों आदि में समस्य़ा हुई। बिना किसी अलर्ट के लोग इस गैस लीक का शिकार हो गए।