बल्लीवाला खूनी फ्लाईओवर में हुआ तब्दील ,स्पीड ब्रेकरों पर नहीं लगा ब्रेक, सीएस की भी नहीं सुन रहा विभाग
बल्लीवाला के खूनी फ्लाईओवर में अब किसी प्रयोग की जगह नहीं बची है। फ्लाईओवर में लम्बे चौड़े स्पीड ब्रेकर बनवाना और हटाने के क्रम में दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके है। बावजूद इसके फ्लाईओवर में स्पीड ब्रेकर यूं ही मौजूद है।
साल 2016 में बल्लीवाला फ्लाईओवर बनने के बाद जहां लोगों को आस जगी दी थी कि ये जाम से निजात दिलाने का काम करेगा और बेवजह वाहनों के दबाव से मुक्ति मिलेगी। लेकिन फ्लाईओवर निर्माण के बाद इससे सहूलियत तो दूर इसने दुर्घटनाओं को दावत देना शुरू कर दिया। जिसके बाद ये फ्लाईओवर खूनी फ्लाईओवर के नाम से जाना जाने लगा।
सरकार के तमाम प्रयास रहे फिसड्डी साबित
फ्लाईओवर में दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने तमाम प्रयास किए। लेकिन प्रशासन के प्रयोगों के दौर से इस फ्लाईओवर से गुजरने वाले लोगों को निजात नहीं मिल सकी। लिहाजा शासन ने भी इस पर संज्ञान लिया और फ्लाईओवर का मसला एक पीआईएल के माध्यम से हाईकोर्ट तक जा पहुंचा।
मुख्य सचिव के आदेश के बाद हटाए गए स्पीडब्रेकर
हाईकोर्ट ने इसके बाद भारी भरकम आदेश दिए तो जनता के मन में एक बार फिर आस जागी की शायद फ्लाईओवर से मुक्ति मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2021 में मुख्य सचिव डा. एसएस संधू ने उत्तराखंड में प्रशासनिक मुखिया का दायित्व संभालने के बाद उनका अनुभव काम आया और फ्लाईओवर पर बने स्पीड ब्रेकरों को हटाने का काम शुरू हुआ।
आमजनता जानलेवा स्पीड ब्रेकरों से गुजरने पर मजबूर
स्पीडब्रेकर हटाने के बाद दोबारा से विभागों द्वारा फ्लाईओवर बनाने के बाद वही गलती दोहराई गई। ठीक उसी जगह पर लोनिवि द्वारा नियमों का गला घोंट कर स्पीडब्रेकर बना दिए गए। जिसके बाद आमजनता को एक बार फिर हंप व बंप जैसे जानलेवा स्पीड ब्रेकरों से गुजरना पड़ रहा। शासन-प्रशासन ने अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया तो इससे कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता
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