महाकुंभ 2025 के अजब-गजब बाबा, कोई नौ साल से नहीं बैठा तो किसी का सालों से उठा है हाथ

Ad
ख़बर शेयर करें
maha kumbh2025 ajab gajab baba

महाकुंभ, जहां श्रद्धालु अपनी आस्था और परंपरा के साथ इस पवित्र संगम में डुबकी लगाने आते हैं। महाकुंभ में हर कदम पर आस्था के अद्भुत रंग देखने को मिलते हैं। 13 जनवरी से उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ (Mahakumbh 2025) का आयोजन शुरू हो गया है। देश और दुनियाभर से साधु संत और श्रद्धालु इस भव्य मेले में शामिल होने आ रहे है। वहीं यहां कई बाबा भी ऐसे आते हैं जो अपनी यूनिकनेस की वजह से चर्चाओं में रहते हैं। ये अजब-गजब बाबा इस महाकुंभ भी आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। चलिए जानते है इस महाकुंभ 2025 के अजब-गजब बाबा के बारे में।

महाकुंभ 2025 के अजब-गजब बाबा (Mahakumbh 2025 Ajab Gajab Baba)

इस महाकुंभ की कई ऐसे बाबा आए है जो सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गए है। कोई बाबा कार से सफर तय करते है। कोई आठ सालों से खड़ा है तो वहीं किसी ने सालों से हाथ को उठा रखा है। चलिए जानते है उन बाबाओं के बारे में।

एंबेसडर बाबा

mahakumbh 2025

ऐसे ही एक बाबा हैं एंबेसडर बाबा। जो 1972 मॉडल की एंबेसडर कार के साथ मेले में पहुंचे हैं। ये कार ही उनकी पहचान और उनका घर है। बाबा बताते हैं कि वो इस कार के साथ चार कुंभ मेलों का हिस्सा बन चुके हैं। बाबा ने कहा कि वो इसी कार में खाते-पीते और सोते हैं।

प्रयागराज के महाकुंभ में इस कार से पहुंचने में उन्हें डेढ़ दिन का वक्त लगा। बाबा का कहना है की ये कास उनके साथी जैसी है और वो पूरी जिम्मेदारी से कार को संभालते हैं। महाकुंभ के बाद बाबा का अगला पड़ाव बनारस और गंगासागर होने वाला है। उनकी ये अनोखी जीवनशैली और उनकी एंबेसडर कार हर किसी का ध्यान खींच रही है।

रुद्राक्ष बाबा

यहां दूर दूर से कई अद्भुत बाबा आए हैं जिनमें से एक हैं रुद्राक्ष बाबा इनकी पहचान उनके खास रुद्राक्ष की मालाओं से है। रुद्राक्ष बाबा के वीडियोज बड़ी तेजी से वायरल हो रही हैं। रुद्राक्ष बाबा कुल 108 मालाएं पहनते हैं। इन मालाओं में 11 हजार रुद्राक्ष हैं, जिनका भार 30 किलो से भी ज्यादा है।

रुद्राक्ष बाबा महंत गीतानंद

इस वजह से लोग इन्हें रुद्राक्ष बाबा के नाम से पुकारते हैं। बाबा का कहना है कि वो लंबे समय से रुद्राक्ष पहन रहे हैं। बाबा के ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। लोग उनकी अनोखी पहचान और जीवनशैली को देखकर हैरान हैं।

दिगंबर बाबा

महाकुंभ में आए हर संत की अपनी अनोखी कहानी है। एक ऐसी ही अनोखी कहानी है, महाकुंभ में राजस्थान से आए दिगंबर नागा बाबा की जो अपनी अनोखी तपस्या से सबका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। दिगंबर बाबा ने पिछले पांच सालों से अपना बायां हाथ उठाए रखा है। उन्होंने ये तपस्या सनातन धर्म की रक्षा और देश के भविष्य की सुरक्षा के ले शुरु की है।

बाबा का हाथ हमेशा ऊपर रहने की वजह से उनकी मांसपेशियां सख्त हो चुकी हैं। उनके नाखुन बढ़ चुके हैं। उनका हाथ अबएक जगहजम सा गया है। लेकिन अपने दृढ़ निश्चय से वो अपनी इस तपस्या को आगे बढ़ा रहे हैं। जो भी दिगंबर नागा बाबा की कहानी सुन रहा है वो उनको एक बार देखने और उनका आशीर्वाद लेने दूर-दूर से आ रहा है।

आईआईटी वाले बाबा

प्रयागराज महाकुंभ में इन दिनों एक खास नाम की चर्चा हो रही है, वो है आईआईटी वाले बाबा, अभय सिंह की। हरियाणा के हिसार के रहने वाले अभय सिंह ने आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। लेकिन अब उन्होंने अध्यात्म का रास्ता अपना लिया है।

iitbombay iitian baba

दरअसल कई सारे मीडिया इंटरव्यूज में इंजीनियर बाबा ने बताया कि उन्होंने साल 2014 में IIT Bombay से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का कोर्स किया था। कोर्स के बाद एक कंपनी में उनका सेलेक्शन भी हुआ जिसमें उन्हें लाखों का पैकेज मिला।

हालांकि कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद उन्होंने जॉब छोड़ दी। फोटोग्राफी के अपने शौक के अलावा उन्होंने कोचिंग सेंटर खोलकर फिजिक्स भी पढ़ाई। इसमें भी उनका मन नहीं लगा। जिसके बाद उन्होंने आध्यात्म की तरफ कदम बढ़ाया। बता दें कि इंजीनियर बाबा हठयोगी हैं। मीडिया में वो फिलहाल सुर्खियों में है और उनकी खासी चर्चा हो रही है।

कंप्यूटर बाबा

mahakumbh 2025

कंप्यूटर बाबा के नाम से मशहूर बाबा का असली नाम दास त्यागी है। इनकी गैजेट और तकनीक में रुचि के कारण इन्हें कंप्यूटर बाबा कहा जाता है। वो अपने साथ लैपटोप रखते है। जिसमें वो कार्टून देखते है।

वर्षो से खड़े हैं खड़ेश्वर बाबा

खडे़श्वर बाबा(1)

खड़ेश्वर बाबा का असली नाम रमेश पुरी है। हरियाणा के रहने वाले ये बाबा करीब नौ वर्षों से खड़े है। वो ना तो कभी लेटते है और ना ही बैठते है। वो अपनी कमर को सहारे से टिका कर साधना करते है। जब उनसे पूछा गया कि इतनी कठिन साधना बाबा क्यों करते है। तो इसपर जवाब देते हुए वो कहते है कि, “आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा छोड़।