सरकार के सारे वादे हुए फेल, ड्रेनेज की समस्या को सुधारने के लिए नहीं किए गए पुख्ता इंतजाम ,नहीं संभला डीएम से, सीएम धामी को संभालना पड़ा मोर्चा

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प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश के बाद पहाड़ से लेकर मैदान तक जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राजधानी देहरादून में सड़कों पर पानी भरने से जगह-जगह पर तालाब बने हुए नजर आ रहे हैं। हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है।

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राजधानी देहरादून में सड़कों पर पानी भरने से जगह-जगह पर तालाब बने हुए नजर आ रहे हैं। बरसात के सीजन के शुरू होने से पहले ही व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के कई दावे किए गए थे। लेकिन ये सारे दावे फेल होते नजर आ रहे हैं।

बरसात के सीजन के शुरू होने पहले ड्रेनेज व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। नाले दुरूस्त नहीं करवाए गए। और अब जब हालात काबू से बाहर हो गए हैं तो डीएम सोनिका सिंह निरीक्षण कर रही हैं।

डीएम से नहीं संभला, अब सीएम ने संभाला मोर्चा
राजधानी दून में बारिश के कहर से जगह -जगह पर सकड़ों पर पानी है। लोगों की दुकानों और यहां तक की घरों में भी जलभराव की समस्या देखने को मिल रही है। जब डीएम सोनिका सिंह से स्थिति नहीं संभली तो सीएम धामी को खुद मोर्चा संभालना पड़ा। सीएम धामी ने मंगलवार को आईएसबीटी का औचक निरीक्षण किया।

सीएम धामी ने औचक निरीक्षण कर अधिकारियों को जलभराव के कारणों की जांच करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही सीएम धामी ने कहा कि जल्द ही इसे सुधार लिया जाएगा। बता दें कि कई सालों से आईएसबीटी में जलभराव की समस्या देखने को मिल रही है।

शहर में नहीं है ड्रेनेज व्यवस्था सही
राजधानी दून में आए दिन कुछ ही घंटों की बरसात के बाद कई इलाकों में जलभराव की स्थिति देखने को मिल रही है। बीते दिनों हुई बारिश नें रिस्पना में सड़कों पर पानी भर गया था। इसके साथ ही सहारनपुर चौक और प्रिंस चौक पर थोड़ी देर की बरसात के बाद ही सड़कों पर पानी भर जाता है। जिस कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

हर साल ड्रेनेज व्यवस्था को सुधारने की बात तो कही जाती है और दावे भी किए जाते हैं। लेकिन थोड़ी ही देर की बरसात के साथ ही इन दावों की पोल भी खुल जाती है। नगर निगम द्वारा भी ड्रेनेज व्यवस्था को सुधारने के सिर्फ दावे ही किए जाते हैं। जबकि हर बार ये दावे फेल होते नजर आते हैं।

1500 करोड़ खर्च पर सुविधाएं अब भी नदारद
राजधानी दून में साल 2018 में स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। तब से लेकर करोड़ों रूपए शहर की व्यवस्थाएं दुरूस्त करने के नाम पर खर्च हो रहे हैं लेकिन शहर में सुविधाएं नजर नहीं आ रही हैं। सड़कों पर जगह-जगह गढ्ढे हैं, सीवर लाइनों और ड्रेनेज व्यवस्था की सही व्यवस्था नहीं है।

बारिश के बाद सामने आई इन तस्वीरों को देखकर ऐसा लगता है कि स्मार्ट सिटी के सपने दिखाकर जनता को चने के झाड़ पर चढ़ाने का काम किया गया है। लेकिन जमीनी हकीकत अब भी वैसी ही है। सड़कों में गढ्ढे, थोड़ी देर की बारिश के बाद जलभराव से लोगों का जीना दूभर हो गया है।