पहाड़ों की खेती बर्बाद करने के बाद बंदर अब बुजुर्गो के लिए बने मुसीबत, बैंक से लौट रही अम्मा का रुपयों का बैग छीनकर भागा

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पहाड़ों में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है और सरकार इसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है. पहाड़ की खेती बर्बाद करने के बाद अब आम लोगों के लिए यह बंदर मुसीबत का कारण बन चुके हैं बुजुर्ग लोगों के लिए यह ज्यादा मुसीबत बनते जा रहे हैं.

एक ऐसा ही मामला सुयालबाड़ी फिर आ रहा है जहां बैंक से पैसे निकाल कर अम्मा घर को लौट रही थी कि इसी बीच बंदरों के झुंड ने उसे घेरकर और एक बंदर ने उसके हाथ से आरोपियों का बैग छीन कर भाग गया.

वह तो गनीमत रही कि ग्रामीणों ने उसे ढूंढ खोज दिया और बड़ी मुश्किल से चार दिन बाद वह बैग मिल गया और अम्मा के बैग से रुपए मिल गए तो उसने राहत की सांस ली.

खबर इस बार उत्तराखंड के गरमपानी से है। जहां एक बैंक से रूपये निकाल कर जा रही आमा का पर्स बंदर छीन ले गया। अचानक हुए हमले से आमा घबरा गई। जिसके बाद पता चला कि बंदर ने आमा के रूपये छीने है। बंदर आमा का पर्स लेकर झाड़ियों में चला गया। इसके बाद काफी खोजबीन की गई लेकिन कही भी बंदर नहीं मिला। वही ग्रामीणों ने दूरबीन का इस्तेमाल किया तो चार दिन बाद आमा का पहाड़ी की झाड़ियों में पर्स पड़ा मिला। पर्स में रखे 11 हजार रुपये सुरक्षित मिलने पर बुजुर्ग महिला की आंखें छलक आईं


पूरा मामला गरमपानी के अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर सुयालबाड़ी का है। रामगढ़ ब्लाक के सिरसा गांव निवासी बुजुर्ग देवकी देवी सुयालबाड़ी स्थित बैंक से रूपये निकालकर गांव की ओर लौट रही थीं। तभी रास्ते में बंदरों के झुंड उन्हें घेर लिया। तभी एक बंदर आमा के हाथ से थैला छीन लिया। थैले में रखे पर्स में 11 हजार रुपये भी थे। पर्स छीनने की खबर आमा ने ग्रामीणों को दी।

जिसके बाद ग्रामीण थैले और पर्स की खोजबीन में जुट गये।शनिवार को अल्मोड़ा निवासी सुनील गोस्वामी ने दूरबीन से पहाड़ी की ओर खोजबीन की। दूर तीखी पहाड़ी पर थैला नजर आया। जिसके बाद ग्रामीण बालमुकुंद जीना व रमेश बिष्ट ने पहाड़ी पर चढ़कर थैला वापस बाजार तक पहुंचाया। इसकी सूचना आमा को दी गई। आमा से गांव से पहुंचकर अपना थैला पाया तो उनकी आंखें भर आईं। आमा ने ग्रामीणों का आभार जताया।