By-election : मंगलौर में फतह हासिल करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती, आज तक कभी नहीं भेद पाई किला
उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। जिसमें एक बद्रीनाथ विधानसभा है तो दूसरी मंगलौर विधानसभा है। मंगलौर विधानसभा सीट की बात करें तो बीजेपी के लिए मंगलौर विधानसभा सीट पर फतह हासिल करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। यहा जीत बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण इसलिए है क्योंकि आज तक उत्तराखंड बनने के बाद कभी भी जीत नहीं पाई है।
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले की मंगलौर विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव के लिए मतदान होना है। बसपा विधायक सरवत करीब अंसारी के निधन के चलते यह सीट रिक्त हुई है। तारीखों के ऐलान के साथ ही उपचुनाव को लेकर बिगुल बच चुका है। सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
इस बार फिर से मंगलौर में मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार नजर आ रहे हैं। बसपा ने शरबत करीम अंसारी के बेटे उबेर दुरहमान को मैदान में उतारने का फैसला कर लिया है। तो वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन का मैदान में उतरना तय है। हालांकि भाजपा के भीतर उम्मीदवार उतारने को लेकर मंथन जारी है।
मंगलौर उपचुनाव बीजेपी के लिए अग्निपरीक्षा
बीजेपी के लिए मंगलौर उपचुनाव किसी बड़ी अग्निपरीक्षा से कम होने वाला नहीं है। क्योंकि अभी तक उत्तराखंड में जिसकी भी सरकार रही है वो राजनीतिक दल उपचुनाव में जीत हासिल करने में कामयाब रहा है। लेकिन बसपा के गढ़ मंगलौर में जिस तरीके से अभी तक हुए पांच विधानसभा चुनाव में चार बार बसपा और एक बार कांग्रेस को जीत मिली है। बीजेपी के लिए ये सीट टेंशन बढ़ाने वाली होने वाली है।
मंगलौर सीट पर अब तक हुए चुनाव का इतिहास
2002 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में बसपा से चुनाव लड़े काजी निजामुद्दीन ने कांग्रेस उम्मीदवार सरवत करीम अंसारी को हरा दिया। 21,115 वोट लाकर काजी निजामुद्दीन विधायक बनकर विधानसभा पहुंच गए।
2007 में हुए विधानसभा चुनाव में भी काजी निजामुद्दीन ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और 25,559 वोट लाकर जीत हासिल कर ली। लेकिन इस बार रालोद की कुलदीप चौहान दूसरे नंबर पर रहे। जबकि शरबत करीम अंसारी तीसरे नंबर पर रहे।
2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर सरवत करीम अंसारी ने चुनाव लड़ा। 24,706 वोट लाकर वो जीतकर विधानसभा पहुंच गए। इस बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े काजी निजामुद्दीन चुनाव हार गए।
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से काजी निजामुद्दीन पर भरोसा जाताया। काजी निजामुद्दीन ने 31,352 वोट लाकर जीत हासिल की।
2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने फिर शरबत करीम अंसारी को टिकट दिया। उन्होंने 32,660 वोट लाकर जीत हासिल की। कांग्रेस की तरफ से काजी निजामुद्दीन दूसरे नंबर पर रहे। काजी निजामुद्दीन 32,062 वोट हासिल कर 598 मतों के अंतर से चुनाव हार गए।
मंगलौर उपचुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं
मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। 2024 लोकसभा चुनाव के जो नतीजे सामने आए हैं उस से कांग्रेस का मनोबल सातवें आसमान पर है। जबकि बसपा के होश भी ठिकाने लगे हुए हैं। हालांकि भाजपा की राह मुश्किल नजर आ रही है। मंगलौर विधानसभा सीट पर 2024 के चुनावी नतीजे में कांग्रेस को 44,101 मत हासिल हुए हैं। तो वहीं भाजपा को 21,100 मत प्राप्त हुए। जबकि बसपा के खाते में 5,507 वोट ही आए।
मंगलौर उपचुनाव बीजेपी के लिए आसान होने वाला नहीं है। अगर भाजपा को जीत तलाश नहीं है तो मुस्लिम और एससी-एसटी फैक्टर को भाजपा को साधना होगा। भाजपा दावा कर रही है की अन्य उपचुनावों की तरह मंगलौर के साथ ही बद्रीनाथ सीट पर भी बीजेपी जीत दर्ज करेगी।
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