राज्य बनने के 21 साल बाद भी विकास के नाम पर हुआ बंदरबांट- हरीश पाठक

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राज्य में चुनावों को देखते हुए चुनावी माहौल काफी गर्म हो गया है जिसकी वजह से हर एक राजनीतिक दल एक दूसरे पर तंज कसते जा रहे हैं बता दे इसी क्रम में उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता हरीश पाठक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि उत्तराखंड राज्य बनने की बाद इन 21 वर्षों में विकास के नाम पर जो बंदरबांट हुई है उसका ताजा उदाहरण ऑल वेदर रोड नरेंद्र नगर चंबा मार्ग बंद कर दिया है राष्ट्रीय राजमार्ग इस तरह से बंद किया जाना सरकारी काम की पोल खोलता है कुछ वर्ष पहले बने रानीपोखरी का पुल आज भरभरा कर गिर गया है। पुल के क्वालिटी की पोल खुद ही खुल गई है पुल नदी में समा गया है इस प्रकरण की राज्य सरकार को उच्च स्तरीय जांच करनी चाहिए दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। कोरोना टेस्ट में जो घोटाला हुआ था उस पर सरकार में मुख्य आरोपी को बचाकर छोटे कर्मचारियों पर गाज गिरा कर इतिश्री कर दी है सरकार को उच्चस्तरीय जांच करा कर दोषियों को सख्त से सख्त सजा देनी थी चाहिए ना की लीपापोती कर छोटे अधिकारियों को निलंबन कर जांच की इतिश्री नहीं करनी चाहिए।

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उत्तराखंड क्रांति दल का मानना है कि छोटे कर्मचारियों के बजाय वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।आज भी प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नर्स और डॉक्टर नहीं है सरकार इस तरह ध्यान देने के बजाय डॉक्टरों का मनोबल तोड़ने का काम कर रही है।दूरस्थ सरकारी अस्पतालों में इलाज की कोई सुविधा नहीं है सरकारी अस्पतालों को रेफर सेंटर बना दिया गया है।सरकारी प्राथमिक विद्यालय तीन हजार के करीब बंद होने के कगार पर है कर्मचारी आज भी हड़ताल पर हैं सरकार का ध्यान सिर्फ सरकार में कैसे वापसी हो इस पर है। आम जनमानस का समस्या है आज भी वैसे ही है राज्य की अवधारणा इसलिए की गई थी आम जनमानस का विकास हो गांव गांव तक सड़क में पहुंचे प्रदेश में कुटीर उद्योग गांव गांव तक लगे प्रत्येक परिवार को सरकारी नौकरी या स्वरोजगार उपलब्ध हो इस अवधारणा के साथ इस राज्य का उदय हुआ था। जिन राजनीतिक पार्टियों ने उत्तराखंड राज्य का विरोध किया था वही पहली निर्वाचित सरकार में इस प्रदेश के मुखिया बने
विकास के नाम पर पंतनगर की एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी की जमीनों को खुर्द बुर्द किया। ईमानदारी के साथ राज्य सरकार को स्थाई राजधानी गैरसैंण घोषित करने के साथ-साथ हिमाचल सरकार की तरह कठोर कदम उठा कर मजबूत कठोर भू कानून इस सत्र में लाना चाहिए था। जिससे कि प्रदेश के गरीब किसानों की जमीनों को संरक्षण मिल सके।

घमासान को उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता हरीश पाठक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि उत्तराखंड राज्य बनने की बाद इन 21 वर्षों में विकास के नाम पर जो बंदरबांट हुई है उसका ताजा उदाहरण ऑल वेदर रोड नरेंद्र नगर चंबा मार्ग बंद कर दिया है राष्ट्रीय राजमार्ग इस तरह से बंद किया जाना सरकारी काम की पोल खोलता है कुछ वर्ष पहले बने रानीपोखरी का पुल आज भरभरा कर गिर गया है। पुल के क्वालिटी की पोल खुद ही खुल गई है पुल नदी में समा गया है इस प्रकरण की राज्य सरकार को उच्च स्तरीय जांच करनी चाहिए दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। कोरोना टेस्ट में जो घोटाला हुआ था उस पर सरकार में मुख्य आरोपी को बचाकर छोटे कर्मचारियों पर गाज गिरा कर इतिश्री कर दी है सरकार को उच्चस्तरीय जांच करा कर दोषियों को सख्त से सख्त सजा देनी थी चाहिए ना की लीपापोती कर छोटे अधिकारियों को निलंबन कर जांच की इतिश्री नहीं करनी चाहिए। उत्तराखंड क्रांति दल का मानना है कि छोटे कर्मचारियों के बजाय वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।आज भी प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नर्स और डॉक्टर नहीं है सरकार इस तरह ध्यान देने के बजाय डॉक्टरों का मनोबल तोड़ने का काम कर रही है।दूरस्थ सरकारी अस्पतालों में इलाज की कोई सुविधा नहीं है सरकारी अस्पतालों को रेफर सेंटर बना दिया गया है।सरकारी प्राथमिक विद्यालय तीन हजार के करीब बंद होने के कगार पर है कर्मचारी आज भी हड़ताल पर हैं सरकार का ध्यान सिर्फ सरकार में कैसे वापसी हो इस पर है। आम जनमानस का समस्या है आज भी वैसे ही है राज्य की अवधारणा इसलिए की गई थी आम जनमानस का विकास हो गांव गांव तक सड़क में पहुंचे प्रदेश में कुटीर उद्योग गांव गांव तक लगे प्रत्येक परिवार को सरकारी नौकरी या स्वरोजगार उपलब्ध हो इस अवधारणा के साथ इस राज्य का उदय हुआ था। जिन राजनीतिक पार्टियों ने उत्तराखंड राज्य का विरोध किया था वही पहली निर्वाचित सरकार में इस प्रदेश के मुखिया बने
विकास के नाम पर पंतनगर की एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी की जमीनों को खुर्द बुर्द किया। ईमानदारी के साथ राज्य सरकार को स्थाई राजधानी गैरसैंण घोषित करने के साथ-साथ हिमाचल सरकार की तरह कठोर कदम उठा कर मजबूत कठोर भू कानून इस सत्र में लाना चाहिए था। जिससे कि प्रदेश के गरीब किसानों की जमीनों को संरक्षण मिल सके।